- सरकारी ऑथराइज संस्थाओं में केस रजिस्टर्ड कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाते जिम्मेदार

- इसकी वजह से एक सीजन में हो जाता है करोड़ों का कारोबार

- जांच और प्लेटलेट्स के लिए लोग लगाते हैं दौड़

GORAKHPUR: बरसात का मौसम आने के साथ ही लोगों के दिलों में डेंगू, मलेरिया जैसे मॉस्कीटो बॉर्न डिजीज की दहशत फैल जाती है। लोगों को हल्की सी भी बीमारी का अहसास होता है, तो वह सीधे जांच कराने के लिए दौड़ पड़ते हैं। हर साल सैकड़ों जांच होती है, लेकिन महज एक्का-दुक्का मामले ही सामने आते हैं। यह सिर्फ इत्तफाक नहीं, बल्कि प्री-प्लांड स्ट्रैटजी है, जिसके जरिए न सिर्फ डेंगू के डर को बढ़ाया जा रहा है, बल्कि हर साल इसके लिए सिर्फ गोरखपुर में करोड़ों का कारोबार भी हाे रहा है।

केसेज कम, लेकिन जांच बेइंतेहा

जिले में डेंगू के मामलों की बात करें तो पिछले दो साल में डेंगू के मामलों में काफी कमी आई है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ओपीजी राव ने बताया कि साल 2017 में डेंगू के कुल 182 मामलों की पुष्टि हुई थी, जबकि 2018 में यह संख्या घट कर 11 हो गई। दोनों साल में डेंगू से एक भी मौत रिपोर्ट नहीं हुई है, जबकि इस साल अब तक डेंगू का कोई मामला सामने नहीं आया है। जिम्मेदारों की मानें तो दूसरे शहरों में डेंगू रिपोर्ट होने के साथ इसका डर फैला दिया जा रहा है, जिससे अगर किसी को इस सीजन में हल्का सा बुखार भी हो जा रहा है, तो वह उसे डेंगू ही समझ रहा है और फौरन जांच के लिए पैथोलॉजी का रुख कर ले रहा है। हर रोज सैकड़ों मरीजों की जांच हो रही है।

रिपोर्ट करें, तभी होगी पुष्टि

प्राइवेट सेक्टर और गवर्नमेंट सेक्टर के कागजी आंकड़ों में काफी फर्क होता है। जहां प्राइवेट सेक्टर ने लास्ट इयर 2018 में 500 से ज्यादा लोगों में डेंगू की पुष्टि दिखाई थी। इसमें ज्यादातर पेशेंट्स ने प्राइवेट पैथालॉजी में कार्ड टेस्ट के जरिए अपना चेकअप कराया था। लेकिन स्वास्थ्य महकमें के रिकॉर्ड में महज 5 मरीज में ही डेंगू पाया गया था। एनआईवी की जांच में भी इंसेफेलाइटिस के करीब 50 मरीजों में डेंगू पाया गया। जिला अस्पताल में 150 में से महज 5 मरीजों में ही डेंगू का लारवा मिला था। मगर स्वास्थ्य महकमें के जिम्मेदारों की मानें तो सिम्प्टम से ही डेंगू की पुष्टि नहीं मानी जा सकती है, बल्कि जब तक उस जांच के रिजल्ट पॉजिटिव न आ जाए।

कोई भी नहीं कर रहा रिपोर्ट

गवर्नमेंट सेक्टर में जांच होने और इसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ही इसे डेंगू का केस माना जाता है। इसके लिए कई मीटिंग्स में जिम्मेदारों ने प्राइवेट हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी को डाटा शेयर करने के लिए कहा था, लेकिन डेंगू के मामले डायग्नोज होने के बाद भी जिम्मेदार स्वास्थ्य महकमे से इसे शेयर नहीं कर रहे हैं, इसलिए इन केसेज में डेंगू की पुष्टि नहीं हो पा रही है और रिकॉर्ड में डेंगू के केस लिमिटेड बने हुए हैं

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मीडिया की अहम भूमिका

डेंगू की रोकथाम में लोगों का समुदाय अहम है और इसे सुनिश्चित कराने में मीडिया की अहम भूमिका है। अगर समुदाय और मीडिया का सहयोग मिल जाए, तो इस बीमारी से जंग लड़ने में और भी सहूलियत होगी। यह एसीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। आईवी विश्वकर्मा ने शहर के एक होटल में ऑर्गनाइज मीडिया संवेदीकरण वर्कशॉप में कही। डेंगू की रोकथाम टॉपिक पर एलईएचएस विश फाउंडेशन की ओर से ऑर्गनाइज इस वर्कशॉप में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने मीडिया से अपील किया कि महत्वपूर्ण संदेंशों को समुदाय तक पहुंचा कर डेंगू के खिलाफ चल रही लड़ाई में सक्रिय सहयोग करें। फाउंडेशन की नेशनल प्रोग्राम मैनेजर रूचि झा ने गोरखपुर शहर में डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ किए वर्क की प्रेजेंटेशन दी। इस मौके पर जिला सूचना अधिकारी प्रशांत कुमार श्रीवास्तव, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ओपीजी राव, गोरखपुर प्रोग्राम मैनेजर अंजुम गुलरेज, एडवोकेसी ऑफिसर वेद प्रकाश दूबे, आदिल आदि माैजूद रहे।

डेंगू को जानिए

- प्लेटलेट का कम होना हमेशा डेंगू नहीं होता है।

- समय से अस्पताल आने पर डेंगू का सस्ता इलाज संभव है।

- समय से चिकित्सालय पहुंचने पर डेंगू जानलेवा रूप नहीं धारण करता।

- चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण एक तरह के होते हैं। जांच के बाद ही पता चल सकता है कि मरीज को डेंगू या चिकनगुनिया।

- चिकनगुनिया की खतरनाक अवस्था में शरीर झुक जाता है और वह कभी ठीक नहीं होता।

- डेंगू और चिकगुनिया एक ही प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है और दोनों बीमारियों के मच्छर दिन में काटते हैं।

- मच्छरों से बचाव कर हम चिकनगुनिया और डेंगू को रोक सकते हैं।

दें ध्यान -

- साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर

- डेंगू बुखार एडिज एजिप्टाइज मच्छर के काटने से होता है।

- साफ पानी में ही अंडे देता है यह मच्छर

- घर या आफिस में लगे कूलर, गमले, ओवर हेड टैंक, टायर या फिर हौदियों में रुके पानी में इसके अंडें मिलते हैं।

- दिन में ही काटता है डेंगू का यह मच्छर।

ऐसे करें बचाव

- डेंगू मच्छर दिन में काटता है।

- घर के सदस्यों को दिन में पूरी बांह की कमीज, फुल पैंट और पैरों में मोजा पहनना चाहिए।

- घरों में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

- बुखार होने पर दवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।

- सिर्फ पैरासिटामॉल की गोली दें और बॉडी को पानी से भीगी पट्टियों से पोछें।

- बुखार तेज होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

यह न करें

- घरों के आसपास पानी न रूकने दें।

- डेंगू बुखार से पीडि़त मरीज को बगैर मच्छरदानी के न रहने दें।

- मरीज को एस्प्रीन, ब्रुफेन और कार्टिसोन दवा कत्तई न दें।

डेंगू को लेकर प्राइवेट सेक्टर से कई बार अपील की गई है कि वह डेंगू के केस को रिपोर्ट जरूर करें, जिससे इसकी फाइनल जांच कराकर रिजल्ट देखा जा सके। लेकिन कोई भी इसे शेयर नहीं करता है, जिससे केस की सही पोजीशन नहीं पता चल पाती है।

- डॉ। आईवी विश्वकर्मा, एसीएमओ