इस्लामाबाद (एएनआई)। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ गयी हैं। 15 अगस्त, 2021 को जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया है, तब से पाकिस्तान के अंदर काफी संख्या में आतंकवादी हमले हुए हैं। इसके अलावा अगस्त 2021 से अप्रैल 2023 के बीच पाकिस्तान में हुए हमलों में 138 फीसदी ज्यादा लोग मारे गए। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार,पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) ने एक रिसर्च स्टडीज में यह बात सामने आयी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान में आतंकवादी हिंसा के मामले व हमलों की संख्या में 92 फीसदी और 81 फीसदी की वृद्धि हुई है।

राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरा होगा

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आतंकवाद के ये उभरते रुझान खैबर पख्तूनख्वा और तत्कालीन कबायली क्षेत्रों में तालिबान की उपस्थिति, बलूचिस्तान में बलूच राष्ट्रवादी विद्रोह, सिंध में जातीय-राष्ट्रवादी हिंसा, साथ ही बढ़ते धार्मिक उग्रवाद और साथ ही साथ पाकिस्तान की लगातार सुरक्षा चुनौती को बढ़ाएंगे। इसमें कहा गया है, लंबे समय तक असुरक्षा, उग्रवाद और हिंसा का ऐसा माहौल राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।

तालिबान सरकार का फैसला मानवाधिकारों का उल्लंघन

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार इस बीच इस्लामाबाद में रॉयल नॉर्वेजियन दूतावास के मिशन के उप प्रमुख डॉक्टर महानूर खान ने युद्धग्रस्त देश में महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और काम के अधिकार से वंचित करने का तालिबान सरकार का फैसला मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा, "हम अधिक प्रतिनिधित्व वाली और समावेशी सरकार (अफगानिस्तान में) की जरूरत को रेखांकित करते हैं।

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