-पंचायती आंगन में दिखाई देने लगा लोक संस्कृति का रंग

-संक्रांति के दिन बांटा विवाहित बहन व बेटियों के घर भेजा जाएगा

SAHIYA (JNN) : जौनसार-बावर क्षेत्र के रीति रिवाज व पर्व निराले हैं। एक माह तक चलने वाले मरोज पर्व की शुरूआत होते ही पंचायती आंगनों में लोक संस्कृति की छटाएं बिखरने लगी हैं। मकर संक्रांति को बकरे का मीट यानि बांटा विवाहित बहन व बेटियों के घर भेजा जाएगा।

दावत का दौर शुरू हो गया

जौनसार बावर में होने वाले त्योहार देश से मेल नहीं खाते, यहां पर पर्व मनाने का अंदाज निराला है। आजकल एक माह तक चलने वाले मरोज त्योहार की धूम है। मेहमान नवाजी के साथ ही हर घर पर दावत का दौर शुरू हो गया है। शाम को स्याणा के घर पर पारंपरिक नाच गाना चलता है। ग्रामीण महिलाएं व पुरूष देर रात तक पंचायती आंगन में लोक नृत्य व गीतों की छटा बिखेर रहे हैं।

गरीब परिवारों का रखते हैं ध्यान

मकर संक्रांति के दिन से सभी मेहमानी में अपनी विवाहित बहन बेटियों के घर मरोज का बांटा भेजा जाता है। एक माह तक मेहमान नवाजी का दौर चलता है। रिवाज है कि यदि विवाहित बेटियों व बहनों के घर बांटा नहीं पहुंचाया जाता तो रिश्ता टूट जाता है। मरोज पर गांव के गरीब व दलित परिवारों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्होंने मरोज पर खाद्य सामग्री दी जाती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है।

खाल व्यवसायी भी सक्रिय

जौनसार बावर में मरोज पर्व को देखते हुए लेदर व्यवसायी भी सक्रिय हो गए हैं, जिनका नेटवर्क यूपी, हरियाणा व मद्रास तक फैला है। उत्तराखंड में खालों का शोधन न होने का फायदा बाहरी लेदर व्यापारी उठा रहे हैं। लेदर व्यापारी रणजीत, टीकम का कहना है कि मरोज पर पर्याप्त खाल मिल जाती है।

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