- परेड रामलीला के दूसरे दिन, सखियों संग पुष्प वाटिका में घूम रही सीता पर पड़ी प्रभु राम की नजर

- प्रभु को देखते ही सीता ने मन ही मन की प्रार्थना

KANPUR: ऋषि विश्वामित्र यज्ञ कर रहे हैं, उसी बीच राक्षस यज्ञकुण्ड में मांस व हड्डियां फेंक कर विघ्न डालने की कोशिश करते हैं। ऋषि परेशान हो जाते हैं, इसी बीच आकाशवाणी होती है कि दशरथ के पुत्र प्रभु राम ही आपकी रक्षा कर सकते हैं।

चले ऋषि विश्वामित्र के संग

विश्वामित्र महामुनि ग्यानी, बसहिं विपिन सो आश्रम जानी इस चौपाई से मंगलवार को परेड रामलीला आगे बढ़ी। आकाशवाणी सुनकर ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार में पहुंचते हैं और प्रभु राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा करने के लिए भेजने का आग्रह करते हैं। दशरथ कुछ सकुचाते हैं लेकिन गुरु वशिष्ठ के कहने पर राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं।

एक बाण में ताड़का धराशायी

ऋषि के साथ दोनो भाई धनुष बाण लेकर जाते हैं। रास्ते में ताड़का नामक राक्षसी उन पर हमला करती है, लेकिन एक ही बाण में प्रभु राम उसे धराशायी कर देते हैं। तभी सुबाहु आता है, उसे भी मौत के घाट उतार कर राम-लक्ष्मण आगे बढ़ते हैं। इसी दौरान प्रभु रामशिला बनी अहिल्या पर अपने चरण रख कर उद्धार करते हैं।

जब जनकपुरी पहुंचे प्रभु

ऋषि विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचते हैं। जहां पुष्प वाटिका में घूमते समय सखियों संग आई सीता को देखते हैं। प्रभु को देखते ही सीता मन ही मन प्रार्थना करती हों कि वर के रूप में प्रभु ही मिलें। गौरी जी का पूजन करते समय सीता ने यही प्रार्थना की तो उन्हें आशीर्वाद मिला कि सुन सिय सत्य अशीष हमारी, पूजहिं मनोकामना तुम्हारी