दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

तेल के दिए जलाने के पीछे पारंपरिक कारण

दीपावली के कुछ दिन पहले ही गुजरा है दशहरे का त्योहार। दशहरे का त्योहार भगवान श्री राम के हाथों रावण के मारे जाने को लेकर मनाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं। भगवान राम और रावण के युद्ध के बारे में तो सबने सुना होगा। माता सीता का अपहरण करने के बाद भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई कर दी थी। लंबा युद्ध चला और आखिर में भगवान राम ने रावण को मार डाला। रावण को मारने के बाद उनके भाई विभीषण का लंका में राज्याभिषेक करके भगवान राम कुछ दिन वहीं रहे।

दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

उसके बाद वनवास पूरा करके जब उनके अयोध्या लौटने का समय आया तो विभीषण ने उनको वापस पहुंचने के लिए रावण का पुष्पक विमान दिया। ये वही पुष्पक विमान था, जो रावण ने कुबेर से छीन लिया था। इसी से वापस लौटते समय इनको अयोध्या नगरी में लौटना था। आधी रात का समय था। अब अंधेरे में विमान कहीं खो न जाए, या कहीं और न उतर जाए, इसके लिए अयोध्यावासियों ने दिये रोशन किए। ताकि पुष्पक विमान सही जगह पर उतरे। उस समय से परंपरा बन गई भगवान राम के वापसी के इस दिन को दियों से रोशन करने की।

दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

सिर्फ यही नहीं, यही कारण है कि आज का लेटेस्ट विमान, यानी हवाई जगह के उतरने वाले रन-वे पर भी दियों की जैसी रोशनी उसकी हवाई पट्टी पर की जाती है। आपने गौर किया होगा एयरो प्लेन के रन-वे पर दोनों ओर की पट्टियों पर दियों की रोशनी जैसी लाइटिंग होती है। ये भगवान राम के पुष्पक विमान के उतरने पर जलाए गए दियों के जैसे ही है।

दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

उस समय से परंपरा बन गई दीपावली के इस त्योहार को भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी के रूप में मनाने की। उसी के प्रतीक स्वरूप तब से अब तक दिये रोशन किए जा रहे हैं।   

दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

ऐसा है वैज्ञानिक कारण

दीवापली पर दिए जलाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी जिम्मेदार है। दरअसल ये वो समय होता है जब मौसम में अचानक से बदलाव होता है। गर्मी के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। मौसम के इस बदलते पड़ाव पर मच्छरों का प्रकोप एकदम से शुरू होता है। ऐसे में वैज्ञानिक तक इस बात को मानते हैं कि सरसों के तेल के जलने से जो धुआं वातावरण में घुलता है उसकी खुशबू मच्छरों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

दीपावली में दिये जलाने के पीछे ये है पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण

खूशबू की ओर होते हैं मच्छर आकर्षित

ऐसे में दिवाली पर हर कोई अपने-अपने घर पर सरसों के तेल का दिया जलाता है। इतनी बड़ी तादाद में तेल का दिया जलने से उससे उठने वाली खुशबू आसपास के सारे मच्छर उनकी ओर आकर्षित होते हैं। उसके बाद दिये में ही जलकर मर जाते हैं। वैसे आमतौर पर आपने भी देखा होगा कि जलती लाइट के आसपास मच्छर बहुत आकर्षित होते हैं। ठीक वैसे ही जलते दीपक के पास भी होते हैं। कुल मिलाकर दीपावली पर दिये जलाने से मौसम के बदलने पर आए मच्छरों का पूरी तरह से खात्मा हो जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसी वजह से दिवाली पर दियों के जलाने को शुभ के साथ-साथ जरूरी भी माना जाता है।

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