1943 को उड़ा था वो विमान

बात उन दिनों की है जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में दो देशों के बीच कम्यूनिकेशन कर पाना काफी मुश्किल था। हर कोई दूसरे को अपना दुश्मन समझ बैठा था। इसलिए लोग छुप-छुपकर एक जगह से दूसरी जगह जाया करते थे। इसी सीक्रेट सफर पर निकली थी,  दुनिया की सबसे लंबी नॉन स्टॉप फ्लाइट। 29 जून 1943 को कंताल नाम की एक फ्लाइट ऑस्ट्रेलिया से श्रीलंका की ओर निकली थी। यह विमान मौजूदा विमानों की तुलना में छोटा था लेकिन समंदर पार दूसरे देश जाना, वो भी बिना किसी स्टॉप के। यह काफी चैलेंजिंग था।

दुनिया की सबसे लंबी नॉन स्‍टॉप फ्लाइट,32 घंटे के सफर में दो बार दिखता था सूर्योदय

36 घंटे के सफर में दिखा दो सूर्योदय

कंताल फ्लाइट ने असंभव से लगने वाले इस काम को पूरा किया। यह फ्लाइट 29 जून को ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुई। और अगले दिन यानी 36 घंटे 9 मिनट बाद श्रीलंका पहुंच गई थी। इस दौरान फ्लाइट में मौजूद यात्रियों ने दो बार सूर्योदय होते देखा।

दुनिया की सबसे लंबी नॉन स्‍टॉप फ्लाइट,32 घंटे के सफर में दो बार दिखता था सूर्योदय

नॉन स्टॉप फ्लाइट में फ्यूल सप्लाई

36 घंटे के सफर में विमान में फ्यूल कैसे बना रहा। यह सवाल कई लोगों के मन में आता है। दरअसल कंतास फ्लाइट में एक एक्स्ट्रा फ्यूल टैंक लगाया गया था। जिसमें करीब 2400 गैलन फ्यूल आ जाता था। इसके अलावा विमान से कई गैर जरूरी चीजों को हटा दिया गया। ताकि विमान का वजन हल्का हो सके। इस फ्लाइट में एक बार में सिर्फ 3 यात्री ही सफर कर पाते थे। रिपोर्ट की मानें तो इस विमान ने विश्व युद्ध के दौरान करीब 271 चक्कर लगाए।

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