बचपन में था शरारती मां थी पहली टीचर
अपना लेक्चर शुरू करने से पहले ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बच्चों से कह दिया कि वे उन्हें मुखर्जी सर कह कर सवाल कर सकते हैं और बोर होने पर बता दें कि अब खत्म करें। यहां पर अपने जीवन के अनुभवों को बच्चों से बांटते हुए उन्होंने अपनी मां को अपनी पहली टीचर बताया। उन्होंने कहा कि वह बचपन में बेहद शरारती था और अपनी मां को बहुत तंग किया करते थे। पढ़ाई के लिए भी 10 किमी दूर स्थित स्कूल में जाना पड़ता था। वह भी केवल तौलिया बांधकर। क्योंकि रास्ता कठिनाइयों से भरा था और बारिश के दिनों में वहां से जाना बेहद मुश्किल होता था। उन्होंने बताया कि उनके हॉस्टल में बिजली नहीं थी, लिहाजा लालटेन की रोशनी में ही पढ़ना होता था। अपने संबोधन में उन्होंने देश के विकास के योगदान में कांग्रेस के नेताओं का भी जमकर जिक्र किया।
कांग्रेस के योगदान को सराहा
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के साथ कुछ अन्य देश भी आजाद हुए थे लेकिन वहां पर संसदीय व्यवस्था काफी वर्षों के बाद आई, जबकि भारत में आजादी के बाद से ही यह लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की थी। उन्होंने ही विकास के लिए योजना आयोग का गठन भी किया था। उन्होंने विकास के मापदंड तय किए। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आजादी के समय देश में खाद्यान्न की दशा सही नहीं थी। लिहाजा देश का पेट भरने के लिए अमेरिका से अनाज खरीदना पड़ता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज हम इसमें आत्मनिर्भर हैं।
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