टेक्निकल डेवलपमेंट ने भले ही बच्चों में रीडिंग की हैबिट को कम कर दिया हो पर कुछ मैग्जींस आज भी चाव से पढ़ी जाती हैं। टिंकल इन्हीं कुछ बाल पत्रिकाओं में से एक है। इस महीने पत्रिका का 600वां इश्यू पब्लिश हुआ।

पिछले तीन डिकेटस से बाल मन पर अपनी छाप छोडऩे में कामयाब रही इस मंथली मैग्जीन के कुछ करेक्टर्स जैसे शिकारी शंभू और कालिया बच्चों के साथ-साथ बड़ों के भी चहेते हैं। मैग्जीन की एडीटर रजनी थिंदियात ने इसके 600वें इश्यू  के पब्लिकेशन पर कहा कि यह गर्व की बात है कई चेंजेस के बावजूद यह आज भी उतनी ही पाप्युलर है। टिंकल का फर्स्ट इश्यू 1980 में अमर चित्र कथा के साथ प्रकाशित हुआ था।

अमर चित्र कथा को अंकल पाई के नाम से मशहूर अनंत पाई ने शुरू किया था, जिन्हें इंडियन कॉमिक्स का जनक कहा जाता है। रजनी बताती हैं कि उस समय की टिंकल और आज की टिंकल में काफी अंतर है। उस दौर में जहां ज्यादातर माइथलॉजिकल स्टोरीज का समावेश होता था वहीं आज समय की मांग को देखते हुए इसमें तकनीकी और विकास के आधार पर कई नए परिवर्तन किए गए हैं। खास बात यह है कि यह पत्रिका आठ से चौदह साल के बच्चों के लिए ही है, लेकिन इसे हर उम्र का इंसान पढऩा पसंद करता है।

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