अच्छे से एक्सप्लोर करे सब्जेक्ट

चूंकि साइंस में हमेशा कुछ नया एक्सप्लोर करने की संभावना बनी रहती है इसीलिए यह सब्जेक्ट इतना कॉम्प्लेक्स है, लेकिन जो स्टूडेंट्स इसकी कॉम्प्लेक्सिटीज को समझने की कोशिश में लगे रहते हैं और मेहनत करने से घबराते नहीं, उन्हें सक्सेस जरूर मिलती है। बेसिकली साइंस की तीन ब्रांचेज हैं: केमिस्ट्री, फिजिक्स और बायोलॉजी। बोर्ड एग्जाम के सिलेबस में तीनों ही ब्रांचेज से रिलेटेड चैप्टर्स हैं। हालांकि सीबीएसई ने बोर्ड एग्जाम के सिलेबस में चेंजेस किए हैं, जिससे कोर्स पहले के कंपैरिजन में थोड़ा आसान है, लेकिन बोर्ड एग्जाम में अच्छे परसेंटेज लाने के लिए हर चैप्टर की डीप स्टडी जरूरी है।

केमिस्ट्री

इस यूनिट का मेन चैप्टर है, केमिकल सŽसटेंसेज: नेचर एंड बिहेवियर, जिसमें पांच मेन टॉपिक्स हैं, केमिकल रिएकशन्स; एसिड्स, बेसेस एंड सॉल्ट्स, मेटल्स एंड नॉन मेटल्स, कार्बन कम्पाउंड्स और पीरियॉडिक क्लासिफिकेशन ऑफ एलिमेंट्स। इन सभी टॉपिक्स को इस यूनिट में डीटेल में डिस्क्राइब किया गया है, जिससे रिलेटेड क्वेश्चन्स एग्जाम में पूछे जाते हैं।

फिजिक्स

इस यूनिट के मेन चैप्टर्स हैं, एफेक्ट्स ऑफ करेंट और नेचुरल फिनॉमिना। इन चैप्टर्स में करेंट, मैग्नेटिक एफेक्ट्स ऑफ करेंट, रिफ्लेक्शन एंड रिफ्रैक्शन ऑफ लाइट जैसे तमाम इंपॉर्टेंट टॉपिक्स हैं।

बायोलॉजी

इस यूनिट के मेन चैप्टर्स हैं, वर्ल्ड ऑफ लिविंग और नेचुरल रिसोर्सेज, जिसमें कई मेन टॉपिक्स हैं, जैसे- लाइफ प्रॉसेसेस, कंट्रोल एंड कोऑर्डिनेशन इन एनिमल्स एंड प्लान्ट्स, सोर्सेज ऑफ एनर्जी, रिप्रोडक्शन, हेरिडिटी एंड इवॉल्यूशन, कन्जर्वेशन ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज, रीजनल एनवायरमेंट।

प्रैक्टिकल

साइंस में प्रैक्टिकल एक इंपॉर्टेंट सेक्शन है। जो स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल वर्क में एफ्लुएंट नहीं होते, उन्हें साइंस का अच्छा स्टूडेंट नहीं समझा जाता। बोर्ड एग्जाम्स में भी प्रैक्टिल अपने ओवरऑल स्कोर्स बढ़ाने के लिए इंपॉर्टेंट है।

सीबीएसई ने बोर्ड एग्जाम के पेपर पैटर्न में काफी चेंजेस किए हैं। अब पेपर में शॉर्ट, वेरी शॉर्ट और एसे टाइप या डिस्क्रिप्टिव क्वेश्चन्स आते हैं, जिनमें स्कोर करने के लिए अच्छी राइटिंग स्किल्स जरूरी हैं।

फोकस्ड स्टडी करे

ज्यादातर स्टूडेंट्स को साइंस डिफिकल्ट सब्जेक्ट लगता है, ऐसे में स्टूडेंट्स को इसकी प्रिपरेशन स्ट्रैटजी इस तरह प्लान करनी चाहिए कि इसके इंट्रेस्टिंग आस्पेक्ट्स टफ पोशन्र्स को क्लैरिफाई करें और स्टूडेंट्स इसे एंज्वॉय करके पढ़ सकें। वैसे भी साइंस हमारी लाइफ से सीधे कनेक्टेड है इसलिए स्टूडेंट्स को पढ़ाए जा रहे टॉपिक्स को प्रैक्टिल के तौर पर टेस्ट करना चाहिए। इस तरह उन्हें बेसिक कॉन्सेप्ट्स ज्यादा अच्छी तरह से क्लियर होंगे और एग्जाम में वो अच्छी तरह से आन्सर्स लिख पाएंगे।

बायोलॉजी: डायग्राम की भी करे प्रैक्टिस

- इस सेक्शन का सेकेंड टर्म का कोर्स ज्यादा इंपॉर्टेंट है, इसलिए इसको ज्यादा प्रिफरेंस दें।

- बायोलॉजी हमेशा से ही डायग्रामैटिक सब्जेक्ट है और इसमें स्कोर भी उन्हीं स्टूडेंट्स के आते हैं, जो डायग्राम्स और लेबलिंग पर ज्यादा फोकस करते हैं।

- रेस्पिरेशन और एक्सक्रीशन जैसे बड़े और कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स की फंक्शनिंग और इनसे रिलेटेड ऑर्गेन्स की स्टडी जरूर करें।

- स्टूडेंट्स चाहें, तो हर टॉपिक के डायग्राम्स को अच्छी तरह प्रिपेयर करने के बाद डायग्राम्स के लिए सेपेरेट नोट्स बनाएं, जो एंड मोमेंट में रिवीजन के काम आएंगे।

- हेरिडिटी में लॉ को प्रिपेयर करें और उससे रिलेटेड क्वेश्चन्स खुद फॉर्म करके आन्सर्स लिखें। इससे कॉन्सेप्ट क्लियर होगा और अपने वड्र्स में आन्सर लिखने की भी प्रैक्टिस होगी।

- नर्वस सिस्टम और रिफ्लेक्स एक्शन्स एक-दूसरे से रिलेटेड टॉपिक्स हैं। इनकी प्रिपरेशन भी साथ में करें।

केमिस्ट्री: पूरे सिलेबस की रखे जानकारी

- रिएक्शन्स को अच्छी तरह से प्रिपेयर करें और जिन आन्सर्स में रिएकशन्स के जरिए प्वॉइंरट्स क्लियर किए जा सकते हैं, वहां रिएक्शन जरूर लिखें। रिएक्शन्स के टाइप्स को प्रिपेयर करना न भूलें साथ ही रिएक्शन की बैलेंसिंग हर स्टूडेंट को आनी चाहिए।

- बेसिक कॉन्सेप्ट्स को ठीक से समझें। जब तक आपको मॉलिक्युलर मास, एटॉमिक मास जैसे बेसिक्स क्लियर नहीं होंगे, आपको इनके न्यूमेरिकल्स और कन्वर्जन्स में प्रॉबलम आएगी और एनहैंस्ड लेवल के क्वेश्चन्स नहीं कर पाएंगे।

- पीरियॉडिक टेबल स्टूडेंट्स को अच्छी तरह याद होनी चाहिए।

- कैलकुलेशन बेस्ड न्यूमेरिकल्स और एटॉमिक व्हेट की मॉलिक्युलर व्हेट में कन्वर्जन की प्रैक्टिस करें।

- कार्बन कम्पाउंड्स की प्रिपरेशन ऐसे करें कि फंक्शनल ग्रुप्स व सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड हाइड्रोकार्बन्स भी कवर हो जाएं।

- सोप्स और डिटरजेंट्स की केमिकल इक्वेशन प्रिपेयर करें।

प्रैक्टिकल्स को भी रखे याद

स्कूल में कराए गए प्रैक्टिकल्स को अच्छी तरह याद करें। स्टूडेंट्स चाहें, तो कोई प्रैक्टिकल क्लियर न होने पर टीचर्स की परमिशन से दोबारा लैब में प्रैक्टिकल कर सकते हैं। अगर आपने प्रैक्टिकल बेस्ड क्वेश्चन्स में पूरे मार्क्स स्कोर किए तो ओवरऑल साइंस के मार्क्स भी बढ़ेंगे और परसेंटेज पर में इसका फायदा आपको मिलेगा।

कुछ इंपॉर्टेंड टॉपिक्स

साइंस काफी इंपॉर्टेंट और टफ सब्जेक्ट है। इसमें कई टॉपिक्स हैं, जो काफी कॉम्प्लेक्स्ड हैं। हालांकि कुछ टॉपिक्स ऐसे हैं, जो बोर्ड एग्जाम के लिहाज से काफी इंपॉर्टेंट हैं।

केमिस्ट्री: ऑक्सिडेशन एंड रिडक्शन, मोल कॉन्सेप्ट्स, परसेंटेज कॉम्पोजिशन, प्लास्टर ऑफ पेरिस, वॉशिंग सोडा, बेकिंग सोडा, मेटालर्जिकल प्रॉसेस, कोरोजन, होमोलोगस सीरीज, फंक्शनल ग्रुप्स ऑफ कार्बन कम्पाउंड्स, पीरियॉडिक टेबल।

फिजिक्स: रे डायग्राम्स, ओम्स लॉ, रेसिस्टेंस, रेसिस्टर्स, मैग्नेटिक फील्ड, फ्लेमिंग्स लेफ्ट एंड राइट हैंड रूल, ऑल्टरनेटिंग एंड डायरेक्ट करेंट, लॉ ऑफ रिफ्रैक्शन, लेंसेज, प्रिज्म, डिस्पर्जन एंड स्कैटरिंग ऑफ लाइट, रिफ्लेक्शन ऑफ लाइट बाए कव्र्ड सर्फेस, स्मॉल टम्र्स रिलेटेड टू रिफ्लेक्शन ऑफ लाइट।

बायोलॉजी: एक्सक्रीशन इन प्लान्ट्स एंड एनिमल्स, प्लान्ट हार्मोन्स, बायोगैस, रिन्यूवेबेल एंड नॉन रिन्यूवेबेल एनर्जी, फॉसिल फ्यूल्स, रिप्रोडक्टिव सिस्टम, रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन्स मेल एंड फीमेल, मेंडेल लॉ, ओजोन डिप्लीशन, वेस्ट प्रोडक्शन।

इन पॉइंटस को रखे याद

स्टूडेंट्स अक्सर बोर्ड एग्जाम के प्रेशर में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते। ऐसे में साइंस के एग्जाम के लिए स्ट्रेस न लें और मार्क्स बढ़ाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

- स्कूल में जो पढ़ाया जाए, उसे घर पर उसी दिन पढ़ें। इससे आप टॉपिक्स के कॉन्सेप्ट्स को भूलेंगे नहीं और एग्जाम प्रिपरेशन में दिक्कत नहीं होगी।

- टॉपिक को पहले से टफ न मानें। अगर पहले ही टॉपिक को टफ मान लेंगे, तो ज्याद प्रॉŽलम होगी।

- सेल्फ स्टडी साइंस में जरूरी है। टीचर्स आपको टॉपिक कितनी बार भी क्लियर करें, जब तक आप खुद टॉपिक्स के प्रिंसिपिल्स पर फोकस नहीं करेंगे, तब तक आन्सर्स और थ्योरीज क्लियर नहीं होंगी।

- साइंस में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग की काफी इंपॉर्टेंस है इसीलिए प्रैक्टिकल पर ध्यान दें।

- आन्सर्स को प्वॉइंट वाइस लिखें। केमिकल इक्वेशन्स और डायग्राम्स साथ में जरूर लिखें।

- एग्जाम के 15 दिन पहले सिर्फ प्रीवियस पेपर्स सॉल्व करें और आन्सर्स लिखने की प्रैक्टिस करें।

- क्वेश्चन नंबरिंग ध्यान से करें। लेंथी आन्सर्स लिखने की अपेक्षा थ्रू द प्वॉइंट लिखें। कोशिश करें कि डायग्राम्स की हेल्प से टॉपिक्स को क्लियर किया जाए। डायग्राम्स में नीटनेस होनी चाहिए।

फिजिक्स: खूब प्रैक्टिस करे

- पिंसिपल एक्सिस, लेन्सेस, फोकल लेंथ, सेंटर ऑफ कर्वेचर, मिरर फोकस जैसे टॉपिक्स अच्छी तरह प्रिपेयर करें।

- रे डायग्राम्स प्रैक्टिस करें और डिफेक्ट्स ऑफ विजन जैसे टॉपिक्स के बेसिक्स क्लियर करने की कोशिश करें।

- न्यूमेरिकल्स ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। रिलेटेड फॉर्मूले अच्छी तरह याद करें। ये वेरी शॉर्ट टाइप और शॉर्ट टाइप आन्सर्स में स्कोर करने में हेल्पफुल हैं।

- लेन्सेज की प्रापर्टीज, उनके टाइप्स और फंकशन्स को पढ़ें।

- जो टॉपिक्स एक-दूसरे से रिलेटेड हैं, उन्हें साथ में पढ़ें और उनके बीच के रिलेशन को ठीक से समझें।

- अपने नोट्स तैयार करें और टफ टॉपिक्स को छोटे टॉपिक्स में डिवाइड करें।

'स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट में थोड़ा भी कन्फ्यूजन हो, तो टीचर्स से क्लियर करना चाहिए। सेल्फ स्टडी इस सब्जेक्ट में अच्छे मार्क्स लाने के लिए बहुत जरूरी है।'

-रिमझिम पांडेय, साइंस टीचर

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