नई दिल्ली (पीटीआई)। दिशा रवि की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि यह सिर्फ एक टूलकिट का मामला नहीं है बल्कि असल में यह भारत को बदनाम करने की साजिश और अशांति फैलाने की योजना थी। दिशा ने व्हाट्सएप चैट डिलीट कर दिया था। वह गैर कानूनी चीजों से वाकिफ थी। इससे यह पता चलता है कि टूलकिट बनाने की पीछे उनकी कक्या मंशा थी।

दिल्ली पुलिस की दलील, दोषी नहीं थी तो नष्ट क्यों किए सबूत

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि दिशा भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का भारतीय अध्याय थी। वे किसान आंदोलन के जरिए देश में अशांति फैलाना चाहते थे। वह ऐसे लोगों के संपर्क में थी जो खालिस्तान आंदोलन के समर्थन में यह टूलकिट शेयर कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि यदि उसने कुछ गलत नहीं किया तो अपने ट्रैक को छिपाने के लिए सबूतों को डिलीट क्यों किया।

दिशा के वकील की दलील, अलगाववादियों से उसका संपर्क नहीं

दिशा के बचाव में उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि दिशा ने बेवजह विरोध नहीं किया है। विरोध की वजह पर्यावरण था, कृषि और पर्यावरण का एकदूसरे से परस्पर संबंध है। उनके वकील ने कोर्ट में बताया कि दिशा का प्रतिबंधित संगठन 'सिख फाॅर जस्टिस' से संबंध का कोई सबूत नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा, 'यदि मैं किसी से मिलता भी हूं, तो उसके माथे पर यह तो नहीं लिखा होता कि वह अलगाववादी है।'

दिशा के वकील ने पूछा, योग व चाय को टारगेट करना अपराध कैसे

दिशा की जमानत पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में दिशा के वकील ने कहा कि यदि विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को दुनिया में उठाना देशद्रोह है तो मैं जेल में ही ठीक हूं। एफआईआर में एक आरोप है 'योग और 'चाय' को टारगेट करना है।' क्या यह कोई अपराध है? दिशा के वकील ने कहा कि लाल किला हिंसा में ऐसे किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है जिसने यह कहा हो कि उसने टूलकिट से प्रभावित होकर ऐसा किया है। किसान मार्च के दौरान हिंसा का टूलकिट से संबंध का कोई सबूत नहीं है।

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