सेवा प्रदाताओं की ओर से वैस सेवाएं एक्टिवेट करने के मामले में ग्राहकों की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलती हैं. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) भी इन मामलों पर लगातार चिंता जताता रहा है. ट्राई ने एक बयान में कहा कि सेवा प्रदाताओं को एक ऐसा तंत्र उपलब्ध कराना चाहिए जिसके जरिये वैस सेवाएं एक्टिवेट करने से पहले ग्राहकों से दूसरी बार स्वीकृति ली जा सके.

ट्राई के मुताबिक इन सेवाओं के लिए ग्र्राहकों से पहले ऑपरेटर स्वयं स्वीकृति लेगा। इसके बाद विशेष गेटवे के जरिये किसी तीसरे पक्ष द्वारा इन सेवाओं के लिए ग्र्राहकों से अंतिम स्वीकृति ली जाएगी. नई प्रक्रिया में वैस एक्टिवेशन के सभी तरीकों आउटबाउंड डायलिंग (ओबीडी), एसएमएस, मोबाइल इंटरनेट, इंटरेक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम, टेली-कॉलिंग, सप्लीमेंट्री सर्विसेज डाटा (यूएसएसडी) जैसे सभी तरीकों को शामिल किया जाएगा.

इसके अलावा ऑपरेटरों को वैस सेवाएं बंद करने की मांग पर चार घंटे में कार्रवाई करनी होगी. डिएक्टिवेशन की प्रक्रिया को समाचार पत्रों, बेवसाइट और एसएमएस के जरिये प्रचारित भी करना होगा. गलत तरीके से वैस एक्टिवेट किए जाने पर ग्र्राहक कॉमन टोल फ्री नंबर 155223 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इस तरह के मामलों में ग्र्राहकों को 24 घंटे में उनका पैसा वापस किया जाएगा.

दिशानिर्देशों के मुताबिक वैस के नवीनीकरण से 24 घंटे पहले एसएमएस और ओबीडी के जरिये इसकी सूचना ग्र्राहकों को देनी होगी. साथ ही ऑपरेटरों को एक्टिवेशन और डिएक्टिवेशन की मासिक रिपोर्ट ट्राई को सौंपनी होगी.

इससे पहले चार जुलाई 2011 को ट्राई ने अपने निर्देश में कहा था कि ऑपरेटर वैस एक्टिवेट करने के 24 घंटे के अंदर ग्र्राहकों से एसएमएस, ईमेल या फैक्स के जरिये इसकी लिखित स्वीकृति लें. यह स्वीकृति मिलने पर ही इन सेवाओं का शुल्क वसूल किया जाए.

उस समय दूरसंचार उद्योग ने इस निर्देश का विरोध करते हुए कहा था कि इससे उद्योग को 12,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा और 10,000 नौकरियां कम करनी पड़ेंगी. जीएसएम कंपनियों के संगठन सीओएएल ने इसके खिलाफ टीडीसैट में भी अपील की थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी.

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