मणिपुर और बिहार के लिए रवाना हुए 2703 यात्री

मणिपुर जाने वाले ज्यादातर स्टूडेंट और बिहार जाने वाले श्रमिक थे

देहरादून।

57 दिन बाद दून रेलवे स्टेशन पर ट्यूजडे को चहलकदमी देखने को मिली। यहां से आज तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई। इन ट्रेन में 2703 लोगों को बिहार और मणिपुर भेजा गया। रेलवे स्टेशन में सुरक्षा के साथ सोशल डिस्टेंश की व्यवस्था की गई थी। सुबह 9 बजे पहली ट्रेन मणिपुर के लिए चलाई गई। इसके अलावा दो ट्रेन बिहार के लिए की गई। मणिपुर जाने वाली ट्रेन में 402 लोग रवाना हुए। बिहार के अररिया जाने वाली ट्रेन में 1152 और खगरिया जाने वाली ट्रेन में 1149 यात्री सवार थे। इस दौरान कई बार फिजिकल डिस्टेंशिंग के नियम की धज्जियां उड़ती नजर आई।

मणिपुर वाले ज्यादातर स्टूडेंट

सुबह साढ़े छह बजे से ही स्टेशन पर मणिपुर के यात्रियों जिनमें अधिकांश दून के विभिन्न संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र शामिल रहे को बसों में महाराणा प्रताप स्पो‌र्ट्स कॉलेज से थर्मल स्क्रीनिंग के बाद लाया गया। जीआरपी, आरपीएफ व पुलिस ने व्यवस्था बनाते हुए यात्रियों को फिजिकल डिस्टेंश के नियम के साथ बोगियों में बैठाया। मणिपुर जाने के लिए प्रदेश से 531 लोगों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन 402 यात्री ही प्लेटफार्म पर पहुंचे। देहरादून से 16 बोगी की ट्रेन में केवल छह बोगी में यात्री सवार हुए, बाकी 10 बोगी खाली गई। यहां से जिला प्रशासन ने प्रत्येक यात्री को भोजन सामग्री उपलब्ध कराई।

दूसरी ट्रेन बिहार के लिए

मणिपुर की ट्रेन रवाना होने के करीब एक घंटे बाद अररिया बिहार जाने वाले यात्रियों का स्टेशन पर आगमन शुरू हुआ। पुलिस चौकी व थानों में रजिस्टर्ड यात्रियों में अधिकांश श्रमिक थे। बन्नू स्कूल से इन्हें छोटी-छोटी टुकडि़यों में स्टेशन लाया गया। अररिया के लिए रवाना हुई ट्रेन अपने तय समय से 32 मिनट की देरी से चली। इसके बाद शाम को सात बजे खगरिया, बिहार के लिए रवाना होने वाली ट्रेन 35 मिनट देरी से रवाना हुई।

कुत्ता भी था साथ

देहरादून में मणिपुर निवासी देवसन अपने साथ कुत्ता भी ले गया। उसने बताया कि उसे इस डॉगी से इतना लगाव हो गया कि वह उसे छोड़कर नहीं आ सकता।

बेटी की लिए आई, फंस गई

मणिपुर से बेटी की देखभाल के लिए यहां आई थी। इसके बाद से यहां पर फंस गई। बेटी गर्भवती थी। उसकी देखभाल के लिए वह यहां आई। लेकिन तब से यहीं पर फंस गई।

घूमने आए थे

फिरोज यहां घूमने आए थे, लेकिन तब से यहीं पर फंस गए थे। बेटी राहीन और तंजीना भी साथ थे। शुरुआत में होटल में रहें। लेकिन बाद में कमरा किराए पर लेकर रहने लगे। वह मणिपुर में बिजनेस करते हैं।

ऋषिकेश से आए पैदल

बिहार के लिए ट्रेन चलने पर पांच लोग पैदल ही ऋषिकेश से देहरादून पहुंचे। लेकिन, पास और मेडिकल जांच न होने के कारण उसे भेजा नहीं जा सका। इसके बाद पुलिस की ओर से उन्हें जैन धर्मशाला में रुकवाया गया। 2 बजे की ओरिया की ट्रेन में जाने की आस में यहां पहुंचे थे।

सोशल डिस्टे¨सग की धज्जियां

ट्रेन की बोगी में बैठने के बाद सभी एक दूसरे के पास बैठे हुए थे। एक ही सीट पर चार चार लोग बैठकर आराम से बात कर रहे थे। बार बार एनाउंसमेंट के बाद भी लोग सोशल डिस्टें¨शग को मेन्टेन नहीं कर रहे थे।

6 साल की बच्ची का पूरा टिकट

रेलवे ने बिहार जाने वाले लोगों से स्लीपर का टिकट लिया। बिहार सरकार ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके पैसे वहां आकर लौटा दिए जाएंगे। 6 साल की बच्ची का आधा टिकट लगने के बजाए पूरा टिकट लिया गया।

छत्तीसगढ़ की ट्रेन मांगी

डीएम ने डीआरएम रेलवे से 22 मई को छत्तीसगढ़ के लिए ट्रेन की डिमांड की है। दून में छत्तीसगढ़ के ज्यादा लोग फंसे होने के कारण यह निर्णय लिया है। फिलहाल रेलवे को आगे का निर्णय लेना है।

आज तीन ट्रेन रवाना की गई। सभी को पूरे सोशल डिस्टें¨शग के साथ बिठाया गया। रास्ते में खाने के लिए रेलवे की ओर से फूड पैकेट दिए गए। अब बिहार के लिए दो ट्रेन और रवाना होगी।

गणेश चंद्र ठाकुर,

डायरेक्टर रेलवे स्टेशन