कानपुर ( इंटरनेट डेस्क)। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का भारत दौरे में आज दूसरा दिन है। दौरे के दूसरे दिन नेपाल के प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में भारत के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर हैदराबाद हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों देशों के बीच संयुक्त रूप से यात्री ट्रेन सेवाओं का उद्घाटन किया । ईस्ट सेंट्रल रेलवे के अधिकारी (सीपीआरओ) बीरेंद्र कुमार ने ऑल इंडिया रेडियो को बताया कि भारत और नेपाल के बीच रेल सेवाओं के शुरू होने से दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती मिलेगी।

यात्र के लिए मतदाता पहचान पत्र रखना होगा साथ

बिहार से कुर्था की इस ट्रेन से यात्रा करने के लिए यात्रियों को भारतीय नागरिकों को केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा जारी पहचान पत्र, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी एक मतदाता पहचान पत्र या भारतीय दूतावास द्वारा जारी पहचान पत्र अपने साथ रखना होगा। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस परियोजना के लिए 784 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। जयनगर से कुर्था , कुर्था से बिजलपुरा के बीच परियोजना का पहला और दूसरा चरण पहले ही पूरा हो चुका है। सीपीआरओ ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने कहा कि बिजलपुरा से बर्दीबास के बीच तीसरे चरण का 69 किमी का काम जोरों पर है।

1937 में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी

नेपाल और भारत के बीच रेल सेवा वर्षो पुरानी है। दोनों देशों के बीच 1937 में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी।भारत नेपाल के बीच 4 दशक तक रेल सेवा चालू रही। इस पर विरम तब लगा जब 2001 में नेपाल में बाढ़ आई। बाढ़ के कारण रेल की पटरियां क्षतिग्रस्‍त हो गई थी जिसके वजह से इसे बंद करना पड़ा। लेकिन जनकपुर से जयनगर के लिए ट्रेन सेवा मार्च 2014 तक जारी रही। अब आठ साल के लंबे इंतजार के बाद दोनो देश एक बार फिर रेल लाइन से जुड़ जाएंगे।

रूट पर होगें 8 स्‍टेशन , गति होगी 100 किलोमीटर

इस सेक्शन में कुल आठ स्टेशन और छह हॉल्ट स्टेशन होंगे। इसमें 47 रोड क्रॉसिंग और 15 बड़े पुल भी होंगे। इसके अलावा, मार्ग पर 127 छोटे पुल हैं। प्रारंभिक योजनाओं के अनुसार, यात्री ट्रेनों के लिए 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति की अनुमति होगी, जबकि माल ढुलाई के लिए यह 65 किमी प्रति घंटे तक सीमित होगी। जुलाई 2021 में, भारतीय रेलवे ने इस सेक्शन पर स्पीड ट्रायल किया, जिसका रेलवे नेपाल ने समर्थन किया था। उसके बाद इसे पूरी तरह से फिट घोषित कर दिया गया ।

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