बिंगोल प्रांत के सार्सिसेक गांव में लोग अब भी गांव में और गांव के आसपास खेतों और मैदानों में उल्कापिंड की तलाश में जुटे हैं।

न्यूज़ वेबसाइट हाबेरतुर्क के मुताबिक, इन्हें बेच कर कुछ लोगों ने कारें और मकान तक खरीद लिए हैं।

इस वेबसाइट के अनुसार एक ग्राम उल्कापिंड से 60 डॉलर तक मिल सकते हैं।

हसन बेल्देक को इस गांव के सबसे ख़ुशकिस्मत लोगों में से एक माना जा सकता है।

अपनी सास की ज़िद पर जब वो उल्कापिंड के अवशेष ढूंढने निकले तो उन्हें उल्कापिंड का करीब डेढ किलो का अवशेष मिला।

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हसन ने इस वेबसाइट को बताया, "जब मैं अपनी सास की ज़िद को और नहीं झेल पाया तो मैं बाहर आ गया और सोचा कि कोशिश करके देख लेता हूं। मैंने इस इलाके को तीन- चार घंटे तक छाना। और तब मुझे अचानक एक आदमी की मुट्ठी जितना बड़ा चमकदार काला पत्थर दिखाई दिया।"

हसन बेल्देक को इस पत्थर के लिए एक लाख बीस हज़ार डॉलर तक का ऑफर दिया जा चुका है।

लेकिन उन्होंने इसे बेचने से इंकार कर दिया क्योंकि उनका मानना है कि इसका दाम इस राशि से कहीं ज़्यादा है।

उनका कहना है कि इस उल्कापिंड अवशेष को बेचने से उन्हें जो पैसा मिलेगा उससे वे इस्तानबुल में अपने भाई के साथ एक पेस्ट्री शॉप खोलेंगे।

साल 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क क्षेत्र में भी एक झील के किनारे उल्कापिंड के कई हिस्से गिरने से ऐसी ही पैसा बटोरने की होड़ शुरू हुई थी।

उस वक्त एक वैज्ञानिक ने बताया था कि इन अवशेषों की वैज्ञानिक दृष्टि से कोई खास अहमियत नहीं लेकिन फिर भी शोधकर्ताओं और संग्रहकर्ताओं के लिए ये बहुमूल्य होते हैं।

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