बीस साल बाद एसआरएन हॉस्पिटल में मां अफसाना से मिला लावारिश के रूप भर्ती शमसाद

मो. आरिफ की मेहनत से हुआ मां-बेटे का मिलन, पत्‍‌नी की बेवफाई के बाद छोड़ा था घर

PRAYAGRAJ: उसे लावारिश के रूप में एसआरएन हॉस्पिटल लाया गया था. लेकिन अब यहां से वह मां और पिता के नाम के साथ डिस्चार्ज किया जाएगा. समाजसेवी मो. आरिफ के एक्स्ट्रा आर्डिनरी प्रयास ने बीस साल से बिछड़े मां-बेटे को मिला दिया है. दोनों के मिलने के बाद पता चला कि पत्‍‌नी की बेवफाई किसी आदमी को किस हद तक तोड़ सकती है. पत्‍‌नी के दूसरी शादी से खफा शमसाद ने घर छोड़ा तो इसके साथ उसने अपनी पूरी पहचान भी खो दी. अस्पताल में बेड पर लेटे बेटे को देखते ही मां उसे छाती से लगा रोई तो हॉस्पिटल में उस वक्त मौजूद हर आंख नम हो गई.

लावारिश में हुआ था भर्ती

मेजा एरिया के लुतर तेदुवान गांव निवासी शमसाद पुत्र जाफर अली आज करीब 40 वर्ष का है. पत्‍‌नी की बेवफाई के बाद जब उसने घर छोड़ा था तो वक्त बीस साल का था. तब से अपनी पहचान छिपाते हुए इधर-उधर घूम कर जीवन व्यतीत कर रहा था. कुंभ मेला पुलिस ने उसे 23 फरवरी को बेहोशी की हालत में एसआरएन हॉस्पिटल में लावारिश के रूप में भर्ती कराया.

पहचान छिपा रहा था शमशाद

उसे वार्ड नंबर 10 के बेड पर जगह मिली. यहां इलाज के दौरान उससे मिलने पहुंचे समाजसेवी व वाट्सएप ग्रुप अज्ञात/ गुमशुदा तलाश के एडमिन मो. आरिफ. उन्होंने शमशाद की पहचान पूछी तो वह उन्हें कई दिनों तक अलग-अलग गांवों का निवासी बताकर बहलाता रहा. लेकिन आरिफ इससे विचलित नहीं हुए और शमशाद के बताए हर पते की तस्दीक कराते रहे. उन्होंने शमशाद को प्यार से समझाया तो बड़ी मुश्किल से उसने 11 मार्च की शाम को बताया कि वह मेजा लूतर गांव का निवासी है. उसने अपने पिता और मां का नाम भी बताया.

पता लगते ही दौड़ पड़ी मां

आरिफ ने मेजा निवासी राजेश गौड़ को उसके गांव भेजा. राजेश गांव में पूछते हुए उसके घर पहुंचे और पूरी जानकारी दी. बीस वर्ष से लापता बेटे की खबर लगते ही मां अफसाना बिना समय गवांए एसआरएन हॉस्पिटल पहुंच गई. यहां अधेड़ हो चुके बेटे को देखते ही सीने से लगा कर चीख पड़ी. मां और बेटे के इस मिलन को देख कर सभी की आंखें भर आई.