10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना

मोक्षदायिनी शिप्रा में आज अमृत स्नान के साथ एक माह तक चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला ‘सिंहस्थ’ शुरू हो गया। इसका 12 सालों से इंतजार था। लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी सिंहस्थ अमृत स्नान का पुण्य लाभ लेने शिप्रा तट पर पहुंचे। उज्जैन कलेक्टर कवींद्र कियावत के अनुसार सुबह आठ बजे तक 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान किया। दिन भर में इनकी संख्या और बढ़ जाएगी। शिप्रा में सबसे पहले अलग अलग अखाड़ों के संत स्नान कर रहे हैं। यहां करीब 7 किमी तक शिप्रा नदी पर बने अगल-अलग घाटों पर लोगों ने स्नान किया। उधर अल सुबह महाकालेश्वर मंदिर में हुई भस्म आरती के दौरान बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। रात से ही भस्म आरती में शामिल होने के लिए लोगों की भीड़ महाकाल मंदिर बाहर लग गई थी।

रात से ही पहुंचने लगे थे भक्त

देर रात 1 बजे से ही शिप्रा नदी के रामघाट पर हजारों की संख्या में लोग स्नान करने पहुंचे। बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ से देखकर पुलिस और प्रशासन ने उन्हें वहां से हटाया। रात 2 बजे फिर से लोगों को शिप्रा तट पर पहुंचने की अनुमति मिल गई। वहीं सुबह शाही स्नान के लिए निकलने वाले अखाड़ों के मार्ग पर पुलिस ने जगह-जगह रास्ते रोक दिए। इसकी वजह से महाकुंभ में पहुंचे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। शुक्रवार सुबह छह बजे मेष लग्न में अमृत स्नान की शुरुआत हुई। मेष राशि में सूर्य व बुध का होना, उच्च बुधादित्य योग बन रहा है। इसके साथ ही सिंह राशि में गुरु व राहु का दृष्टि संबंध भी बन रहा है। यह योग धर्म व आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ है।

सभी शैव और वैष्णव सभी आये

क्या शैव, क्या वैष्णव। क्या महंत, क्या महामंडलेश्वर। क्या प्रजा, क्या प्रजावत्सल। क्या श्रीमंत, क्या श्रीहीन। यहां किसी में कोई भेद नहीं है। सभी पुण्य के इस तीर्थ में एकमेव हो गए हैं। तीन तिथियों के तीरे अमृत स्नान का तीर्थ-जल प्रवाहित है। उनमें पहली तिथि 22 अप्रैल है। दूसरी तिथि है नौ मई और तीसरी 21 मई। इसीलिए, यह धर्म ध्वजा फहराने का क्षण है। यह शंखनाद की वेला है।

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