इनके साथ विराजे गए, हैं प्रमाण
दरअसल कृष्ण्ा जी का ये मंदिर उज्जैन के महिदपुर तहसील से करीब 9 किलोमीटर दूर बना हुआ है। यहां पर वो राधा जी के साथ नहीं बल्कि अपने सबसे प्रिय दोस्त सुदामा के साथ पूजे जाते हैं। ये मंदिर उनकी दोस्ती की मिसाल के तौर पर बनाया गया है जिसका नाम नारायण धाम है। उनका ये मंदिर वहीं पर बनाया गया है जहां पर उनकी और सुदामा की दोस्ती की शुरूआत हुई थी। नारायण धाम मंदिर में उनकी दोस्ती का प्रमाण वहां पर स्थित पेड़ आज भी देते हैं।
मंदिर का है अपना महत्व
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को समर्पित ये मंदिर वाकई में काफी सुदंर है। यहां पर भगवान कृष्ण और सुदामा की मूर्ति काफी मोहित करने वाली है। श्रीमद्भागवत की कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा के लिए जब उज्जैन में स्थित गुरु सांदीपनि के आश्रम में आए, तो यहां पर उनकी दोस्ती सुदामा नाम के गरीब ब्राह्मण से हुई थी। एक दिन गुरु माता ने श्रीकृष्ण और सुदामा को लकड़िया लाने के लिए भेजा। जब वह दोनों लौंट रहें थे तब तेज बारिश हो गई थी। इस बारिश से बचने के लिए वह दोनों पेड़ पर चढ़ गए थे। इस बात की मान्यता है कि नारायण धाम ही वो जगह है जहां पर श्रीकृष्ण और सुदामा साथ रुके थे।
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