-निर्धारित समय पर काम के चक्कर में मानक का कैसे होगा पालन

-यूपी बोर्ड की कापियों के मूल्यांकन में अब सिर्फ दो दिन शेष

-परीक्षकों की कमी से जूझ रहे मूल्यांकन केन्द्रों के इचार्ज की बढ़ी टेशन

ALLAHABAD: करीब दो लाख कापियों की चेकिंग अभी भी पेंडिंग है। यूपी बोर्ड द्वारा तय की गई समय सीमा में भी सिर्फ दो दिन शेष रह गए हैं। फिलहाल टाइम बढ़ाने का कोई संकेत नहीं है। यानी अगले सोलह घंटे में 903 परीक्षक करीब दो लाख कापियों को चेक कर डालेंगे। इसके साथ ही वह ओएमआर शीट पर रिपोर्ट भी फिल करेंगे। अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों का कॅरियर डिसाइड करने वाला यह काम कितना सीरियसली हो रहा है।

बढ़ गया सेंटर इंचार्ज का बीपी

कम समय और बड़े टारगेट को एचीव करने को लेकर कापियां जांचने में लगे टीचर्स का तो बीपी बढ़ा ही है, सेंटर्स इंचार्ज का भी यही हाल है। इस प्राब्लम को उन्होंने बोर्ड के रिस्पांसिबल ऑफिसर्स से शेयर किया लेकिन साल्यूशन नहीं मिला। यानी पूरा का पूरा बर्डेन अब सेंटर इंचार्ज और टीचर्स का है कि वह निर्धारित समय में कापियों को चेक करने का काम पूरा करें। इसका नतीजा है कि परीक्षक कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा कापियां निबटा देने के टास्क पर काम कर रहे हैं। सिटी में बनाए गए तीन सेंटर्स पर तो ऐसा हो भी चुका है। इन सेंटर्स के प्रभारियों ने वेडनसडे को भी काम क्लोज कर दिया और रिपोर्ट ऑफिसर्स को भेज दी।

15 दिन में पूरा होना था मूल्यांकन

डिस्ट्रिक्ट में यूपी बोर्ड की 25 लाख कापियों का मूल्यांकन होना था। इसके लिए सात सेन्टर्स बनाए गए थे। टास्क एचीव करने के लिए 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई थी। इसे एचीव करने के लिए सब्जेक्ट्स के अॅकार्डिग सात हजार परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई। लेकिन, परीक्षकों व डीएचटी की लापरवाही के कारण आधे परीक्षक ही मूल्यांकन के कार्य के लिए उपस्थित हुए। इससे बाकी पर प्रेशर बढ़ गया। सेंटर इंचार्ज ने इसकी शिकायत की तो बोर्ड ऑफिसर्स ने अनुपस्थित शिक्षकों को वेतन रोकने की धमकी दी। इससे भी अनुपस्थित टीचर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ा। अब स्थिति यह है कि दो दिन में पांच सेंटर्स पर करीब दो लाख कापियां चेक होंगी और कुल 903 परीक्षक इसे पूरा करेंगे। वह भी आठ घंटे की ड्यूटी में (मानक के अनुसार एक टीचर को एक दिन में अधिकतम 35 कापियां चेक करनी है और एक टीचर से अधिकतम छह घंटे काम लिया जा सकता है)।

छात्रों की चिंता किसी को नहीं

हाईस्कूल हो या इंटरमीडिएट छात्रों ने किस मानसिक स्थिति में तैयारी की। परिवारवालों नें कैसे अपना टाइम इंवेस्ट किया। बच्चों की बेहतरी के लिए क्या-क्या न किया लेकिन बोर्ड ऑफिसर्स का इससे शायद कोई लेना-देना नहीं है। तभी तो सिर्फ टाइम लिमिट की बात की जा रही है। वैसे सूत्रों की मानें तो बोर्ड के ऑफिसर्स टाइम बढ़ाने की स्थिति में भी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि मूल्यांकन में लगे ज्यादातर टीचर्स की ड्यूटी लोक सभा चुनाव में लगी हुई है। इनका प्रशिक्षण भी इसी वीक से शुरू होना है। वह भी बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। इसलिए टीचर्स को फ्री करना जरूरी है। शायद इसीलिए विभाग क्वालिटी को लेकर ज्यादा पेन लेने की जगह फिक्स टाइम लिमिट में काम पूरा करने पर कंसंट्रेट कर रहा है।

सेन्टर्स सब्जेक्ट्स बची कापियों की संख्या परीक्षक

केपी इंटर कालेज रसायन म्ख्,क्88 89

जीआईसी हिन्दी क्8000 क्भ्7

भौतिक ब्क्,म्ब्9 70

मनोविज्ञान फ्ब्8क् 7

केसर विद्यापीठ साइंस ख्0,000 ख्8ब्

सीएवी इंटर कॉलेज अंग्रेजी ब्8000 ख्9म्