आगरा। हाईएजूकेशन के लिए बेस्ट इंस्टीट्यूट में स्टडी करने के लिए इस बार यूपी बोर्ड वाले पिछड़ेंगे। यूपी बोर्ड मेरिट में आने वाले चंद स्टूडेंट को तो इतने नंबर मिले हैं, जो आईएससी और सीबीएसई टॉपरों के करीब पहुंच गए हैं, लेकिन सामान्य तौर पर यूपी बोर्ड का रिजल्ट गिरा है। इतना ही नहीं फ‌र्स्ट डिवीजन और ऑनर्स यानि 75 प्रतिशत से अधिक नंबर से पास होने वाले स्टूडेंट का आंकड़ा भी गिरा है।

स्टेप मार्किंग से बढ़ा परसेंटेज

यूपी बोर्ड के रिजल्ट में आई इस गिरावट और फ‌र्स्ट डिवीजन व ऑनर्स सहित पास होने वालों की संख्या कम होने की वजह कॉपियां जांचने के नियम को माना जा रहा है। पहले यूपी बोर्ड में कम नंबर मिलते थे। इस वजह से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई कि वे स्टेप मार्कि ग करें। नंबर देने में कंजूसी न करें। इससे पिछले कुछ सालों में रिजल्ट में काफी सुधार हुआ। यहां भी 90 परसेंट से अधिक अंक वालों की संख्या बढ़ गई।

मूल्यांकन में किया फिर बदलाव

इस वर्ष नकल रोकने में नाकाम यूपी बोर्ड ने मूल्यांकन में एक नया नियम लागू कर दिया। कहा गया कि जिसे 90 से अधिक अंक मिलेंगे, उसकी कॉपी दोबारा जांची जाएगी। सूत्रों की मानें तो दोबारा कॉपी जांचे जाने के डर से परीक्षकों ने ही नंबर देने में कंजूसी शुरू कर दी।

नार्मलाइजेशन से भी भला नहीं

यूपी बोर्ड में कम नंबर मिलते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नार्मलाइजेशन का फार्मूला आईआईटी जेईई मेंस में अपनाया गया। इसके अनुसार हर बोर्ड के टॉपर के नंबर को ध्यान में रखते हुए छात्र का प्रतिशत निकाला जाता है। इस फार्मूले के अनुसार दाखिला लेने वाले स्टूडेंट के नंबर में 100 से गुणा करके, उस बोर्ड के टॉपर के नंबर से भाग दिया जाता है। इससे यूपी बोर्ड वाले स्टूडेंट को काफी हद तक अन्य बोर्ड के बराबर आने में मदद मिलती है। इस बार उसमें भी दिक्कत यह है कि यूपी बोर्ड, सीबीएससी और आईएससी बोर्ड के टॉपरों के अंकों में अधिक अंतर नहीं है।