जानकारी है कुछ ऐसी

बता दें कि ये सर्कुलर राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से जारी किया गया है। इस नए सर्कुलर के मुताबिक जिला रसद अधिकारी मंडी में कैम्प लगाकर लाइसेंस का बनवाएंगे। इसी के साथ ही अब इस प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब राज्य सरकार ने ऐसा कदम उठाया हो। इससे पहले भी सरकार की ओर से राज्य में स्टॉक लिमिट पर वेयरहाउस कंपनियों को राहत दी गई थी।  

वेयरहाउस कंपनियों को राहत

वहीं इस बार वेयरहाउस कंपनियों को राहत देते हुए सरकार ने कहा है कि जो भी गोदाम वेयरहाउस रेग्युलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी से पंजीकृत होगा, उसे स्टॉक लिमिट के दायरे में नहीं रखा जाएगा। वहीं इसके विपरीत जो भी अथॉरिटी से पंजीकृत नहीं होगा, उसपर स्टॉक लिमिट का नियम लागू होगा। गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से 22 जून को दाल और दलहन पर स्टॉक लिमिट को लेकर सर्कुलर जारी किया गया था।

क्या है ये सर्कुलर

अब बड़ा सवाल ये भी उठता है कि आखिर ये सर्कुलर है क्या। इस सर्कुलर के अनुसार थोक कारोबारी 75 दिन के लिए 250 टन से ज्यादा दाल या दलहन का स्टॉक अपने पास नहीं रख सकते। वहीं खुदरा कारोबारियों के लिए सर्कुलर है कि वह 45 दिन के लिए 2.5 टन से ज्यादा दाल का स्टॉक अपने पास नहीं रख सकते। इसी स्टॉक लिमिट को लेकर जिला रसद अधिकारियों को अब मंडी में जाकर लाइसेंस बनवाना होगा। इसके बगैर वह स्टॉक को नहीं रख सकेंगे।

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