आगरा। लैलदून शिक्षा भवन के पीछे स्थित झुग्गी-झोपडिय़ों में रहती हैैं। उनकी कहानी भी शेर अली की तरह है। पहले वो स्कूल नहीं जाती थी। लेकिन समाजसेवी नरेश पारस द्वारा एडमिशन कराने पर वो पढऩे लगी। एक साल पहले डायट परिसर स्थित स्कूल में पढ़कर आठवीं पास कर ली। इसके बाद वो स्कूल नहीं जा रही है। क्योंकि अब पढऩे के लिए न तो उसके पास पैसे हैैं और न ही पास में स्कूल। लैलदून ने बताया कि उसकी मां कूड़ा बीनकर उसमें से प्लास्टिक निकालकर बेचती है और पिता शनिवार को नजर के लिए लगाने वाले नींबू-मिर्च बेचते हैैं। इसके बाद वे अपने खाने-पीने का इंतजाम कर पाते हैैं। ऐसे में वे अब आगे स्कूल नहीं जा रही हैैं।

करीना बनना चाहती है फैशन डिजायनर
करीना भी पंचकुइयां स्थित झुग्गी-झोपड़ी में रहती है। उनके पिता नहीं हैं। मां कबाड़ा बीनकर बेचती हैैं और दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करती हैैं। उन्होंने एक साल पहले आठवीं पास की थी। लेकिन स्कूल दूर होने और पैसा न होने के कारण उन्होंने नौवीं में एडमिशन नहीं लिया और एक साल बर्बाद हो गया। इस साल समाजसेवी नरेश पारस ने करीना की मां की काउंसलिंग कर डीएवी कॉलेज में एडमिशन कराया है। करीना काफी टैलेंटेड हैैं। वे फैशन डिजायनर बनना चाहती हैैं। एक बार वे दिल्ली में जाकर मॉडलिंग भी कर चुकी है। इसके लिए उसे पुरस्कार भी मिल चुका है। करीना ने बताया कि वे भी आगे चलकर कुछ बड़ा करना चाहती हैैं और देश का नाम रोशन करना चाहती है। वे कहती हैैं लेकिन अभी उन्हें नहीं पता कि आगे क्या होगा।

भिक्षावृत्ति की भेंट चढ़ रहे बच्चे
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले नरेश पारस बताते हैैं कि उनकी नजर में लगभग 300 बच्चे हैैं, जो मुख्यधारा से दूर हैैं। वे बताते हैैं कि ये बच्चे बचपन से ही भिक्षावृत्ति की भेंट चढ़ जाते हैैं। आगे चलकर वे क्रिमिनल गतिविधि में लिप्त हो जाते हैैं। उन्होंने बताया कि एक बच्चा भीख मांगता था। रात में पुलिस ने उसे चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। तब नरेश पारस ने उस बच्चे को वहां से निकाला। उन्होंने बताया कई बच्चे तो ऐसे हैैं जो भिक्षावृत्ति करते-करते नशाखोरी का शिकार भी हो रहे हैैं। उन्होंने बताया कि इन बच्चों में देश सेवा करने का खूब जज्बा है। लेकिन इनका हाथ पकडऩे वाला कोई नहीं है।
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यहां रहते हैैं झुग्गी-झोपड़ी में बच्चे

- पंचकुइयां शिक्षा भवन के पीछे
- जीआईसी ग्राउंड के सामने
- मारवाड़ी बस्ती इंदिरा नगर
- कालिंदी विहार, कांशीराम आवास योजना
- आगरा किले के सामने
- खंदारी रोड किनारे
- सुल्तानगंज की पुलिया


शहर की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले कई बच्चे ऐसे हैैं, जिनमें भरपूर टैलेंट है। वे देश की सेवा कर नाम रोशन कर सकते हैैं। लेकिन उनका हाथ पकडऩे वाला कोई नहीं है।
- नरेश पारस, बाल अधिकार कार्यकर्ता
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