आगरा में साम‌र्थ्य, परियोजनाएं जमीन पर उतारी जाएं

शू इंडस्ट्री के साथ-साथ बन सकता है मेडिकल और आईटी का हब

डीजे-आईनेक्स्ट के आगरा कॉलिंग वेबिनार में इंडस्ट्री के एक्सपर्ट ने दी अपनी राय

आगरा। ताजनगरी मुगलकाल से ही उद्योगों का हब रही है। लेकिन सन् 1996 के बाद से उद्योगों के मामले में आगरा को लगातार निराशा ही हासिल हो रही है। बीते दो साल से लॉकडाउन के कारण आगरा की इंडस्ट्री बदहाली झेल रही है। जबकि, आगरा में लोगों को रोजगार देने का साम‌र्थ्य है, बस ठोस परियोजनाओं को जमीन पर उतारने की जरूरत है। नए उद्योगों के तौर पर आगरा शू इंडस्ट्री के अलावा मेडिकल और आईटी उद्योगों का हब बन सकता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा आयोजित आगरा कॉलिंग वेबिनार में इंडस्ट्री के एक्सप‌र्ट्स ने अपनी कुछ ऐसी ही राय रखी।

मेडिकल इंडस्ट्री ाोली जाएं

नेशनल चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के प्रेसिडेंट मनीष अग्रवाल ने कहा कि आगरा की वर्तमान इंडस्ट्री के सामने उसके श्रमिकों की हेल्थ की भी चिंता है। क्योंकि वे स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे तो इंडस्ट्री भी बिना किसी बाधा के संचालित हो सकेगी। आगरा में शू इंडस्ट्री है, लेकिन टैलेंट के पलायन को रोकने के लिए नए उद्योगों का केंद्र बनना जरूरी है। शहर को शुरूआत से ही मेडिकल की मंडी कहा जाता है। यहां पर मेडिकल से जुड़ी इंडस्ट्री को खोला जाना चाहिए। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। युवाओं को अपने ही शहर में रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि आगरा के सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज को एस में तदील करना चाहिए। इससे यहां पर इलाज की सुविधाएं अच्छी होंगी और मेडिकल के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इससे शू और गारमेंट उद्योंगों को भी नए आयाम मिलेंगे। शू इंडस्ट्री हेल्थ से रिलेटेड फुटवियर बनाएगी और गारमेंट उद्योग पीपीई किट, एपरिन इत्यादि बना सकती हैं।

आईटी के मुफीद जगह आगरा

आईटी उद्योग से जुड़े और आईआईटी रूड़की से पासआउट शैलेंद्र बंसल ने बताया कि जब से इंटरनेट आया है तब से आईटी के लिए कोई बाउंडेशन नहीं रह गई है। आप आगरा से बैठकर भी अपना कारोबार कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मैं आगरा में रहकर अपनी कंपनी चलाता हूं और पूरी दुनिया में अपना जीपीएस सॉटवेयर बेचता हूं। उन्होंने कहा कि आगरा के युवाओं को भी नौकरी की जगह एंटरप्रेन्योरशिप की ओर आगे बढ़ना होगा। इसके लिए सरकार को आगरा में आईटी पार्क के विजन को साकार करना चाहिए और इसके साथ ही कुछ बड़ी आईटी कंपनियों का आगरा में लाने के प्रयास करने चाहिए। यदि एक बड़ी कंपनी आगरा में आती है तो कई छोटी कंपनियां अपने आप ही खड़ी हो जाएंगी और आगरा आईटी सिटी के रूप में विकसित हो जाएगा।

स्पेशल इकॉनोमिक जोन बने

आगरा शू फैक्टर्स एंड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गागनदास रमानी ने बताया कि आगरा का जूता उद्योग तीन लाख लोगों को रोजगार देता है। देश की 65 परसेंट आबादी आगरा का जूता पहनती है। इसके साथ ही आगरा का जूता पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट होता है। यदि आगरा में स्पेशल इकॉनोमिक जोन बने तो आगरा में और लोगों को रोजगार देने का साम‌र्थ्य है। इसलिए यहां पर व्यापारियों को नॉन पॉल्यूटिंग इंडस्ट्री लगाने के लिए प्रोत्साहन मिले। स्पेशल इकॉनोमिक जोन बनाकर उन्हें सहूलियत दी जाए। उन्होने कहा कि स्मार्ट सोच के साथ काम करने की जरूरत है।

आगरा में जमीन की कमी नहीं

चैंबर प्रेसिडेंट मनीष अग्रवाल ने कहा कि अधिकारी आगरा के लिए किसी भी परियोजना के लिए जमीन की कमी का रोना रोते हैं। जबकि आगरा में जमीन की कोई कमी नहीं है। आगरा में परियोजनाओं को साकार करने के लिए एक लैंड बैंक बनाए जाने की जरूरत है। जिसमें उद्योगों के लिए जमीन को चिह्नित करके एक प्लान बनाया जाए। जनप्रतिनिधियों को आगे आकर आगरा में नॉन पॉल्यूटिंग उद्योग लगाने के लिए काम करना चाहिए। आगरा को आईटी सिटी से लेकर सोलर सिटी तक घोषित किया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई भी सपना साकार नहीं हो सका है। सभी योजनाएं फाइलों में दबकर रह गई हैं।

ओडीओपी में आगरा के जूते को प्रमोशन नहीं

गागन दास रमानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में आगरा के जूते को शामिल किया गया है। इसके बावजूद शू इंडस्ट्री को कोई प्रमोशन नहीं मिल रहा है। इंडस्ट्री को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जा रही है। व्यापारी नया स्टार्टअप शुरू करे इसके लिए भी कोई छूट नहीं दी जा रही है।

आगरा में परियोजनाओं की काफी बात होती है। लेकिन वे साकार नहीं हो पाती हैं। अधिकारियों की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण आगरा को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। आईटी पार्क, अपैरल पार्क जैसी योजनाओं को जल्द से जल्द साकार होना चाहिए। आगरा में जमीन की कोई कमी नहीं हैं।

-मनीष अग्रवाल, चैंबर प्रेसिडेंट

आगरा में स्पेशल इकॉनोमिक जोन बनना चाहिए। ताकि इससे नए उद्योगों को बढ़ावा मिल सके। जब नये उद्योग लगाने में छूट मिलेगी तो व्यापारी प्रोत्साहित होंगे और नए उद्योग लगाएंगे। शू इंडस्ट्री भी अपना काम आगे बढ़ाएगी। रॉ मैटेरियल की फैक्ट्री के लिए छूट मिले, तो हमें रॉ मैटेरियल के लिए विदेश पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

-गागनदास रमानी, प्रेसिडेंट, आगरा शू फैक्टर्स एंड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन

आगरा में आईटी सिटी बनने की क्षमता है। आगरा के दस हजार से ज्यादा इंजीनियर देश में और विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यदि आगरा में आईटी पार्क विकसित होता है तो वे अपने शहर आकर अपना उद्योग शुरू कर सकते हैं। सरकार को किसी बड़ी कंपनी को आगरा में लाने का प्रयास करना चाहिए।

-शैलेंद्र बंसल, आईटी उद्योगपति

इन मुद्दों की उठी मांग

-आईटी पार्क जल्द बने

-अपैरल पार्क का काम जल्द शुरू हो

-आगरा स्पेशल इकॉनोमिक जोन घोषित हों

-एसएन को एस बनाया जाए

-आगरा को मेडिकल हब के रूप में विकसित किया जाए

-कोई बड़ी आईटी कंपनी आगरा आए

-उद्योगों के लिए लैंड बैंक बनाई जाए