आगरा (ब्यूरो)। शहर में पिछले दस दिनों में सबसे कम वायु प्रदूषण रविवार को रहा था, लेकिन सोमवार को इसमें एक बार फिर वृद्धि देखने को मिली। हवा में घुले अति सूक्ष्म कणों व धूल कणों की मात्रा बढऩे से एक्यूआई में उछाल आया। वायु गुणवत्ता खराब स्थिति में रही।

हर घंटे बदल रहा एक्यूआई
हवा के साथ-साथ वायु प्रदूषण का स्तर बार-बार बदल रहा है। संजय प्लेस, शास्त्रीपुरम व शाहजहां गार्डन क्षेत्र में हर दो घंंटे बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बदल रहा है। इन क्षेत्रों में सोमवार को दोपहर बारह बजे एक्यूआई क्रमश: 326 , 311 व 270 दर्ज किया गया। शाम को चार बजे 289, 306 व 281 व शाम को सात बजे 263, 231 व 272 दर्ज किया गया। उम्मीद की जा रही है कि रात के समय इन क्षेत्रों में एक्यूआई 300 पार कर जाएगा। रविवार की रात बारह बजे ऐसा ही हुआ था।

ये बताई प्रदूषण बढऩे की वजह
यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ-साथ पर्यावरण विशेषज्ञ व डॉ। भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। आरके अग्निहोत्री बताते हैैं कि वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह शहर में बेतरतीब सड़कों की खोदाई है। बरसात के बाद शहर की सड़कोंं को गडढा मुक्त करने व विभिन्न पाइप लाइन डालने का कार्य तेजी से चल रहा है। धूल नियंत्रण के पर्याप्त उपाय न होने के कारण 65 फीसद पीएम-2.5 कण सड़कों की खोदाई से हवा में घुल रहे हैं। ये सांस लेने पर नाक-मुंह से फेफड़ों में पहुंचते हैं और फिर गंभीर रूप से बीमार करते हैं। शहर के पर्यावरण में 24 घंटे में 15.6 टन ÓजहरÓ घुल रहा है। यानी हर घंटे 650 किलोग्राम। टीटीजेड की सीमाओं पर चल रहे ईंट भ_ों के धुएं से प्रतिदिन तीन टन पीएम-2.5 उत्सर्जन होता है। जो कुल उत्सर्जन का 18 फीसद है। 10 फीसद वाहनों की धुआं, 10 फीसद औद्योगिक इकाइयों, 06 फीसद रसोई व घरेलू कार्य, 05 फीसद होटल व रेस्टोरेंट, 02 फीसद शहर के कचरे, 01 फीसद बिङ्क्षल्डग निर्माण, 01 फीसद अन्य वजह से होता है। दूसरी ओर, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू है, लेकिन जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। प्लान के मुताबिक न शहर के अंदर भारी वाहनों, ट्रकों का आना बंद किया गया, न ही धूल उड़ाने वाले निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई। जहां निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां न पानी का छिड़काव किया गया है, न ही काम पूरा होने के बाद खोदी सड़कों का निर्माण हुआ। सोमवार को भी कई स्थानों पर कूड़ा जलने के कारण धुआं उड़ता रहा पर प्रदूषण रोकने की तैयारियां हवा-हवाई नजर आई।

पांच वाटर स्प्रिंकलर वाहन ने किया सड़कों पर छिड़काव
वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए नगर निगम के पांच वाटर स्प्रिंकलर वाहनों से शहर की प्रमुख सड़कों पर छिड़काव किया। नगर आयुक्त निखिल टीकाराम ने बताया कि एक वाहन की कीमत लगभग 24.72 लाख रुपये है। ये वाटर स्प्रिंकलर वाहन अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित हैं। एक बार में टैंक में 6,000 लीटर पानी भरा जा सकता है। यह वाहन पानी की बौछार फव्वारे में छोड़ रहा है। इसकी रेंज लगभग 15 मीटर ऊंचाई तक है। वाहन में ऐसा स्प्रिंकलर हैं जिससे चारों तरफ पानी का छिड़काव किया जा सकता है।

सुबह की सैर से बचें
प्रदूषण का एक अहम कारक पीएम 2.5 का बढऩा भी है, जो लगातार जारी है। सुबह के समय पीएम 2.5 की मात्र लगातार 300 के ऊपर बनी हुई है। ऐसे में डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदूषण का स्तर अगर यूं ही बना रहता है तो सुबह की सैर से बचें। एसएन मेडिकल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ। मनीष बंसल का कहना है कि अंधेरा होने के बाद और सुबह सूरज उगने से पहले बुजुर्ग, दमा के मरीज घर से निकलने से परहेज करें। जो अगर टहलने जा रहा है तो मास्क आवश्यक रूप से पहनें।