आगरा। अफसरों की फाइलों में शहर पॉलीथिन मुक्त हो चुका है। लेकिन, हकीकत में अब भी ठेल-ढकेल व दुकानों पर धड़ल्ले से पॉलीथिन का इस्तेमाल हो रहा है। शनिवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने शहर में कई स्थानों पर पड़ताल की। कहीं दुकानदार पॉलीथिन में सामान देते दिखे तो कहीं खरीदारों के हाथों में पॉलीथिन देखी गई, जो अफसर के दावों की चुगली करती नजर आ रहीं थी।

छोटे दुकानदारों पर ही की कार्रवाई

शहर में छोटे-मझले दुकानदारों पर अफसरों ने कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाली। जहां पॉलीथिन, कैरीबैग, प्लास्टिक के दौने और अन्य सामान के थोक विक्रेता है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यूं कहें कि पॉलीथिन अभियान अफसरों की कागजी कार्रवाई में सिमट कर रह गया, लेकिन धरातल पर आज भी पॉलीथिन धड़ल्ले से उपयोग की जा रही है। हकीकत में न तो पॉलीथिन रुकी न थर्माकोल के ग्लास। शासन ने इसके लिए तीन महीनों में अलग-अलग शासनादेश जारी किए थे। इसके लिए जिम्मेदारियां भी निर्धारित की गई थी। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों के लचर रवैये से इन पर अंकुश नहीं लग सका।

सिर्फ रस्म अदायगी

नगर निगम के पर्यावरण अभियंता राजीव राठी कहते हैं कि शहर को पॉलीथिन मुक्त कराने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। दुकानदारों पर कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन हकीकत ये है कि अभियान रस्म अदायगी तक ही चलाया जाता है। उसके बाद इसको बंद कर दिया जाता है। मॉनीटरिंग न होने के कारण पॉलीथिन बिक्री और भंडारण पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई 2018 को 50 माइक्रोन से कम पतली पॉलीथिन की ब्रिकी पर रोक लगायी थी।

इन स्थानों की जिम्मेदारों ने रिपोर्ट दी

नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों ने शहर में ऐसे स्थानों के पॉलीथिन मुक्त होने की रिपोर्ट दी है, जो पब्लिक प्लेस हैं। अफसरों ने अभियान चलाकर शहर को पॉलीथिन मुक्त का दावा किया है। इसमें सिकंदरा, आगरा कैंट रेलवे स्टेशन, ताजमहल का पश्चिमी गेट, आगरा फोर्ट, ताजमहल के पूर्वी गेट समेत अन्य स्थान शामिल हैं। इसमें दुकानदारों के नाम भी दिए गए हैं।

ये जुर्माना राशि की गई थी निर्धारित

वस्तु का नाम निर्धारित जुर्माना राशि

थर्माकोल की वस्तु

100 ग्राम मिलने पर 1000

101 से 500 ग्राम 2000

501 से 1 किलोग्राम 5000

1 किलोग्राम से 5 किलोग्राम 10,000

5 किलोग्राम से अधिक 25000

फेंकने पर भी है जुर्माना

किसी संस्था वाणिज्यिक संस्था, प्रतिष्ठान, शैक्षिक संस्था कार्यालयों, होटलों, दुकानों, रेस्टोरेंट, मिष्ठान दुकानों, ढाबों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, सड़कों, मार्गो, नालों, नदियों, सार्वजनिक पार्को, समस्त सार्वजनिक स्थलों आदि पर प्लास्टिक अपशिष्ट फेंके जाने पर 25000 रुपये का जुर्माना है। ऐसा ही अगर कोई व्यक्ति करता है तो उस पर भी एक हजार रुपये जुर्माना लग सकता है।

शासनादेश के अनुपालन को इनको मिली थी जिम्मेदारी

- समस्त जिला मजिस्ट्रेट

- नगर आयुक्त

- अपर नगर आयुक्त

- सफाई निरीक्षक

- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता

- सीडीओ

- पर्यटन अधिकारी

- खाद्य एवं सुरक्षा निरीक्षक