-अब तक 62 परसेंट पेशेंट्स हुए ठीक, नोएडा नंबर वन

-आगरा में 120 पेशेंट्स को दिया प्लाज्मा, 23 की मौत

आगरा। कोविड-19 का अभी तक कोई स्थाई इलाज नहीं मिला है। डॉक्टर्स पेशेंट्स को अभी ट्रायल पर दी जा रही दवाओं का उपयोग कर रहे हैं। कई पेशेंट्स को प्लाज्मा थेरेपी भी दी जा रही है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने अपने ट्रायल में अप्रूवल नहीं दिया, लेकिन कोई प्रूव दवा न होने के कारण अब भी इसका उपयोग किया जा रहा है। पेशेंट्स इससे ठीक भी हो रहे हैं। आगरा में अब तक प्लाज्मा थेरेपी की सक्सेज रेट 62 परसेंट है, जो प्रदेश में तीसरे नंबर पर है।

नोएडा में सबसे ज्यादा पेशेंट्स हुए ठीक

प्लाज्मा थेरेपी प्रूवन इलाज नहीं है, लेकिन कोई दूसरी प्रूव दवा न होने के कारण फिलहाल इसका उपयोग किया जा रहा है। देशभर में इसका उपयोग किया जा रहा है और इसके लिए प्लाज्मा बैंक भी बनाए गए हैं। यूपी में इसका सबसे ज्यादा सफलता का परसेंट नोएडा का रहा है। वहां पर सबसे ज्यादा 86 परसेंट पेशेंट्स ठीक हुए हैं। दूसरे नंबर पर लखनऊ में 60 परसेंट पेशेंट्स को इससे फायदा हुआ है। आगरा का नंबर इसमें तीसरा है। यहां पर 62 परसेंट पेशेंट्स इससे ठीक हुए हैं।

ऑक्सीजन सपोर्ट को कर रहा कम

कोविड-19 के पेशेंट्स को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो जाता है। ऐसे में कुछ पेशेंट्स को प्लाज्मा देने पर ऑक्सीजन सेचुरेशन में फायदा हुआ है। एसएन मेडिकल कॉलेज में अब तक 120 पेशेंट्स को प्लाज्मा दिया जा चुका है। इसमें से 74 पेशेंट्स को फायदा हुआ है, वे ठीक हो गए हैं। इसमें से 23 पेशेंट्स की मौत हुई है। अन्य 23 पेशेंट्स का अभी भी इलाज चल रहा है। सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और आईसीएमआर के प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल में नोडल रहे डॉ। अजीत सिंह चाहर बताते हैं कि प्लाज्मा थेरेपी से पेशेंट्स को फायदा तो हो रहा है। इससे कुछ पेशेंट्स में सुधार हुआ है। लेकिन हम यदि उन पेशेंट्स से तुलना करें जिनको प्लाज्मा नहीं दिया है, तो इसमें ज्यादा फर्क नहीं है। इसमें मुश्किल से एक या दो परसेंट का ही अंतर है। बिना प्लाज्मा के भी पेशेंट्स लगातार ठीक हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोविड के पेशेंट्स को इस वक्त ऑक्सीजन और स्टेरॉयड दवाएं देकर बचाया जा रहा है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है। किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीडि़त होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ था। जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है। गंभीर मरीज में एंटीबॉडी बनने में टाइम लगता है। शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से मरीज सीरियस हो जाता है। ऐसे में जो मरीज अभी अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है, वही एंटबॉडी प्लाज्मा के जरिये उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

प्लाज्मा देने से कई पेशेंट्स ठीक हुए हैं। इससे पेशेंट्स को फायदा हुआ है। कई पेशेंट्स को प्लाज्मा देने से ऑक्सीजन सेचुरेशन बढ़ जाता है। लेकिन जिन पेशेंट्स को प्लाज्मा नहीं दिया जा रहा है, वे भी ठीक हो रहे हैं। दोनों का कंपेरिजन किया जाए तो दो से तीन परसेंट का ही अंतर मिलता है।

-डॉ। अजीत सिंह चाहर, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट एसएनएमसी