हमेशा आक्रमणकारियों के निशाने पर विप्र
21 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा शिविर में पुरोहित कल्याण बोर्ड की घोषणा की थी, उस पर अमल करने व रेणुका धाम को पर्यटक स्थल घोषित करने की शिविर में मांग रखा गई। डॉ। लवकुश मिश्रा ने कहा कि सच यह है कि विप्र हमेशा आक्रमणकारियों से लेकर आज के आधुनिक समय में भी सभी के निशाने पर रहता है। सिर्फ धर्म की बात नहीं थी। इसलिए मंदिरों को लूटने के साथ नष्ट भी किया गया। सिर्फ धर्म की बात बात होती तो नालंदा की लाइब्रेरेरी जला कर नष्ट न की गई होती। क्योंकि वहां धन की बात नहीं थी, ज्ञान की बात थी। समाज में सामूहिक रूप से ज्ञान बांटने का काम विप्र करता है। पूरा विश्व त्रस्त है सिर्फ एक विशेष वर्ग से। हिंसा का समाधान नहीं मिल रहा है। आज शिक्षा का भटकाव है। जिसमें लोग सिर्फ डिग्रियां एकत्र कर रहे हैं। समय से और उचित शिक्षा नहीं हो रही है। जिससे रोजगार नहीं मिल रहा, जिससे विवाह में देरी और इससे जीवन का सुख समाप्त हो रहा है। सब एक दूसरे से जुड़े हैं।

समाज और संस्कार एक-दूसरे के पूरक
राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने कहा कि समाज और संस्कार एक दूसरे के पूरक हैं। आधुनिकता की दौड़ में अपने संस्कारों से विमुख न हों। अपने बुजुर्गों के संस्कारों को हम आगे आने वाली पीढिय़ों को नहीं दे पा रहे। टूटे परिवारों और वृद्धाश्रम में बढ़ते वृद्धों की संख्या पर विचार करना होगा। मधुसूदन शर्मा ने इतिहास में ब्राह्मणों के योगदान पर प्रकाश डाला। हरिनारायण चतुर्वेदी ने बच्चों को संस्कारवान बनाने पर जोर दिया। यादवेन्द्र शर्मा ने कहा कि आरक्षण के दौर में ऐसे ब्राह्मण परिवार भी हैं जो दो वक्त की रोटी और बच्चों के लिए शिक्षा भी नहीं जुटा पा रहे। वेद पाठक, गोविन्द पाराशर, राजकुमार शर्मा, आशुतोष अग्निहोत्री, देवेन्द्र कटारा, डीके वशिष्ठ ने भी अपने विचार रखे। संचालन राहुल चतुर्वेदी व धन्यवाद ज्ञापन कैलाश चंद मिश्रा, शैलेन्द्र शर्मा ने दिया।

मुन्ना मिश्रा के सहयोग का मिला आश्वासन
हाल ही में मुन्ना मिश्रा के भाई के नामनेर क्षेत्र में हुए मर्डर मामले में पूरा सहयोग कर आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने की बात कही गई। मुन्ना मिश्रा ने मंच से आप बीती सुनाई। कहा एक माह के बाद भी प्रशासन आरोपियों को पकड़ नहीं पाया है। इसके अलावा समाज के सभी जरूरतमंद लोगों को सहयोग करने का आश्वासन दिया।


परशुराम जयंती नहीं, प्राकट्योत्सव मनाएं
दिनेश शर्मा ने कहा कि परशुराम भगवान विष्णु का अवतार थे। जिनका जन्म नहीं बल्कि प्राकट्य हुआ था। जयंती उनकी मनाई जाती है, जिनकी मृत्यु होती है। इसलिए भगवान परशुराम की जयंती नहीं, बल्कि प्राकट्योत्सव मनाया जाना चाहिए। इसी तरह लोग हनुमान जयंती मनाते हैं। जबकि हनुमान प्राकट्योत्सव मनाया जाना चाहिए। कहा कोई भी भगवान किसी समाज, वर्ग या समुदाय विशेष के नहीं होते। भगवान व महापुरुषों को किसी दायरे में न बांधे।

संस्कार पाठशाला के विद्यार्थियों ने किया कार्यक्रम का शुभारम्भ
संस्कार पाठशाला भोगीपुरा के विद्यार्थियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ महर्षि परशुराम की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम गणेश वंदना व मां दुर्गा की स्तुति की।

रजिस्ट्रेशन के लिए क्यूआर कोड का किया विमोचन
विप्र चिन्त शिविर का सदस्य बनने के इच्छुक लोगों के लिए क्यूआर कोड का विमोचन भी किया गया। जिसके माध्यम ले लोग अपना रजिस्ट्रेशन कराकर संगठन से जुड़ सकते हैं। इस अवसर पर मुख्य रूप से ब्रज बहादुर, डीके वशिष्ठ, डीवी शर्मा, अशोक चौबे, तरुण शर्मा, रुचिका चतुर्वेदी, महन्त योगेश पुरी, बिट्टू गौड़, पवन समाधिया, राहुल शर्मा, चतुर्भुज तिवारी, अंकुर कौशल, विक्रांत शर्मा, भरत शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा, कैलाश मिश्रा, भावना शर्मा, शालिनी शर्मा, प्रकाश चंद शर्मा, अनुराग चतुवेर्दी, हर्षित शर्मा, अपूर्व शर्मा, गौरव शर्मा, खेमचंद शर्मा, लोकेन्द्र दुबे आदि उपस्थित रहे।