इनसोल शीट में यूज हो रहा खराब टायर

जूते में लगने वाले इनसोल अब रैक्सीन, चमड़े नहीं, बल्कि एडिबल ऑयल और खराब टायर, फोम वेस्ट सहित दूसरे उत्पादों से तैयार हो किए जा रहे हैैं। ये पर्यावरण संरक्षण में भूमिका निभाएगा तो टायर और फोम वेस्ट को जलाने से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को भी घटाएगा। दिल्ली से आए सोल निर्माता द्वारा तैयार इनसोल मीट एट आगरा में आकर्षण का केंद्र रहा।

जूता करोबार को बढ़ाने और उसके घटकों को ईको फ्रे ंडली बनाने के प्रयास हो रहे हैं। सींगना में लगे जूता उत्पाद फेयर में आए उद्यमियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए तो प्रदूषण को घटाने और रिसाइल माध्यम से बनाए गए उत्पादों को बारे में भी बताया। दिल्ली से आए क्लासिक पॉलीमर कंपनी के ओनर प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 1985 में आइआईटी से पास होने के बाद आत्मनिर्भर बनने के लिए शू कंपोनेंट का कारोबार शुरू किया। आइआईटी से पास आउट होने के कारण पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान था। आए दिन जगह-जगह टायर जलते हुए देख होने वाले कार्बन उत्सर्जन को बचाने और शू कंपोनेंट को ईको फ्र ंडली बनाने का मन बनाया। उन्होंने बताया कि तीन वर्ष पहले 25 परसेंट एडिबल ऑयल, पांच परसेंट खराब टायर, 10 परसेंट फोम वेस्ट सहित अन्य मिश्रण से इनसोल तैयार किए जा रहे हैैं। आम इनसोल से इसकी लागत 10 प्रतिशत अधिक आ रही है, लेकिन ये पर्यावरण के अनुकूल है। जल्द ही एडिबल ऑयल की उसके निर्माण के बाद बचने वाली वेस्ट को इनसोल बनाने में प्रयोग किए जाने पर विचार हो रहा है। वर्तमान में 30 टन प्रति माह इनसोल शीट तैयार की जा रही है।

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जर्मन स्टैंडर्ड को किया पास

प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि यूरोप देश में जाने वाले उत्पादों के लिए जर्मन स्टैंडर्ड से पास होना जरूरी है। इनसोल शीट ने इसको पास किया है। ये नामी कंपनियों के जूतों में प्रयोग हो रहा है।

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हम इनसोल शीट को पर्यावरण हितैषी बना रहे हैैं। इसमें खराब टायर और एडिबल ऑयल का यूज कर रहे हैैं। आगे और ईको फ्रेंडली शू कंपोनेंट बनाने पर जोर है।

- प्रदीप अग्रवाल, ओनर, क्लासिक पॉलिमर

इन ब्रांडों के उत्पादों में होता प्रयोग

- हशपपीज

- एडिडास

- हूगोबोस

- रीबॉक