आगरा(ब्यूरो)। आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर सर्विस रोड से अधिकतर सवारियां बस में बैठती हैं जबकि बस स्टैंड से बहुत कम सवारियां बसों में बैठती हैं। नेशनल हाईवे-19 आईएसबीटी सर्विस रोड पर सवारियां बसों का इंतजार करती हैं। ऐसे में पहले से एक्टिव ठेकेदार उन्हीं बसों को सवारियों से भरवाते हैं, जो पहले से उनको रुपए देते हैं। प्राइवेट बसों के चालक और सर्विस रोड पर मौजूद ठेकेदार की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।

हर एक सवारी 15 रुपए चार्ज
आईएसबीटी बस स्टैंड पर मौजूद ठेकेदार सवारियों को उसी बस में बैठाने को कोशिश करते हैं, इससे उनको सुविधा शुल्क मिल जाता है। सवारियों को बस में बैठाने के लिए वे जल्दी और टाइम से पहुंचाने का हवाला भी देते हैं। इसके चक्कर में फंस कर सवारी भी उनके झांसे मेें आ जाती है। हर एक सवारी का 15 रुपए या उससे अधिक चार्ज किया जाता है। स्टिंग में प्राइवेट बस कंडेक्टर ठेकेदार को ग्यारह सौ रुपए देता है, इसके बाद ही सवारियों को भरना शुरू करता है। प्राइवेट बस के ठीक पीछे रोडवेज परिवाहन निगम की बस सवारियों के इंतजार में खड़ी है।

राजस्व को पहुंचा रहे नुकसान
बस स्टैंड के बाहर सर्विस रोड से सवारियों को बस में बैठाने वाले ठेकेदार हर महीने लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी है, वहीं आसपास मौजूद व्यवस्था देखने वाले सुरक्षाकर्मी भी इससे अछूते नहीं हैं। ठेकेदार निजी बसों को भरने के लिए सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

एक किलोमीटर की परिधि में नहीं होने चाहिए
नियम के अनुसार रोडवेज बस अड्डे से एक किलो मीटर परिधि के अंदर कोई प्राइवेट या सरकारी बस अड्डा नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। रोडवेज बस अड्डे के बाहर मात्र पांच सौ मीटर की परिधि में ही बना हुआ है।

दिल्ली रूट पर चल रहीं डग्गेमार बस
बसों का सबसे ज्यादा अवैध संचालन दिल्ली रूट पर होता है, आईएसबीटी के अलावा रामबाग, मधुनगर, ईदगाह बस स्टैंड से सवारियों को भरने का काम किया जाता है। इनमें अवैध रूप से चल रही बसें शामिल हैंं। इनमें कई डबल डेकर बसें भी हैं। यह बसें निर्धारित संख्या से ज्यादा सवारियां बैठा कर चलती हैं। साथ ही इनके ड्राइवर भी ज्यादा प्रशिक्षित नहीं होते, इससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

ये बस रास्ते में कहीं नहीं रोकी जातीं
हैरान करने वाली बात यह भी है कि अवैध रूप से चल रहीं बसें दिल्ली तक सवारियां ढो रही हैं। ये बसें कई जिलों से होकर गुजरती हैं, लेकिन कहीं भी इनको रोका नहीं जाता है। इससे स्पष्ट है कि हर जिले में जिम्मेदारों ने इनको खुली छूट देते हैं।

सड़क की फुटपाथ पर खड़ी होती सवारी
आईएसबीटी बस स्टेंड के बाहर आईएसबीटी सर्विश रोड पर सवारियां फुटपाथ पर खड़ी देखी जा सकती हैं। प्राइवेट बस संचालक अपनी बसों को फुटपाथ के दोनों ओर खड़ा करते हैं, इससे पैदल चलने वाले लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है साथ ही जाम की समस्या भी बन जाती है।

प्राइवेट बस कंडक्टर, ठेकेदार से बातचीत
रिपोर्टर, अपनी प्राइवेट बस लगानी है
ठेकेदार, लग जाएगी, उस कंडेक्टर से बात कर लो
रिपोर्टर, क्यों आप नहीं बताओंगे क्या?
ठेकेदार, पहली बार आए हो क्या यहां आप?
रिर्पोटर, हां पहली बार आया हूं में यहां
ठेकेदार, उस बस के कंडेक्टर से बात कर लो, जो वो देता आप भी देना।
रिपोर्टर, ठीक है, बात कर के बताता हूं
कंडेक्टर, क्या बात है, किसने भेजा है आपको
रिपोर्टर, वो सामने ठेकेदार ने भेजा आपके पास, बस भरनी है
कंडेक्टर, ठीक है, हर बस का ग्यारह सौ रुपए लगेगा
रिपोर्टर, अच्छा, लेकिन बस भरने के बाद दुंगा रूपए
कंडेक्टर, नहीं, पहले देने होंगे, सवारी हम बैठाएंगे।

रोडवेज बस स्टैंड के एक किलो मीटर की परिधि में बस स्टैंड नहीं होना चाहिए, अगर, प्राइवेट बसों में सवारी की कंप्लेन मिलती है तो आरटीओ और परिवहन निगम के अधिकारियों के निर्देश पर संयुक्त रूप से कार्रवाई की जाती है।

आरएस चौधरी, एआरएम फोर्ट डिपो