वर्ष 2011 में दर्ज किया गया मुकदमा
घटना 16 नवंबर 2011 की है। आगरा के तत्कालीन (वर्तमान में इटावा) सांसद राम शंकर कठेरिया और उनके एक दर्जन से अधिक अज्ञात समर्थकों पर टोरंट पावर के सुरक्षा अधिकारी समेधी लाल ने धारा 147 (बलवा), 32 मारपीट) के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। सांसद पर आरोप था कि उन्होंने 15-20 समर्थकों के साथ साकेत माल स्थित टोरंट कार्यालय में घुसकर बिजली चोरी मामलों का निस्तारण कर रहे मैनेजर भावेश रसिक लाल शाह से मारपीट की। इससे उन्हें काफी चोटें आईं। कोर्ट में अन्य आरोपियों की फाइल अलग कर सांसद के मामले में विचारण शुरू किया। गवाही और बहस की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी।

न्यायालय ने सांसद को दी जमानत
शनिवार को मामले में फैसला आना था। सांसद राम शंकर कठेरिया अपने अधिवक्ता विजय आहूजा, देवेंद्र ङ्क्षसह और कुछ समर्थकों के साथ दोपहर 12:30 बजे न्यायालय पहुंचे। न्यायालय ने उन्हें दोषी करार देते हुए बलवे की धारा 147(बलवा) में दो वर्ष और 32 मारपीट) में एक वर्ष की सजा सुनाई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता विजय आहूजा और देवेंद्र ङ्क्षसह की ओर से आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील का हवाला देते हुए तब तक के लिए जमानत स्वीकृत करने का आग्रह किया गया। इस पर न्यायालय ने सांसद को जमानत दे दी।

लोकसभा की सदस्यता पर तलवार
संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी जनप्रतिनिधि को आपराधिक मामले में दो या उससे अधिक वर्ष की सजा हो तो उसकी सदस्यता को रद्द किया जा सकता है। साथ ही, अगले छह वर्ष के लिए चुनाव लडऩे पर भी प्रतिबंध होता है। सांसद रामशंकर कठेरिया को सजा के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता पर तलवार लटक गई है।



एक सांसद की सदस्यता खत्म करने का अधिकार लोकसभा स्पीकर के पास है। सांसद रामशंकर कठेरिया के पास अपील करने के लिए एक महीने का समय है। सजा के विरुद्ध सत्र न्यायालय से यदि स्टे मिल जाता है तो उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी।
डॉ। हरिदत्त शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, आगरा बार एसोसिएशन अध्यक्ष