- किसी भी घटना के बाद पुलिस की नजर रहती है प्राइवेट कैमरों पर

- 120 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

आगरा। अपराधियों पर नजर और वारदातों का खुलासा करने में सबसे बड़े मददगार सीसीटीवी कैमरा धोखा देने लगे हैं। सिटी में कई ऐसी वारदातें हुई जिनमें पुलिस सुराग के लिए सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगालने के लिए खाक छानती रही, लेकिन इक्के-दुक्के कैमरे ही मिले। वे भी सुराग देने के काबिल नहीं थे। ऐसे भी कई मामले पुलिस के सामने आए, जिसमें पीडि़त स्वयं सीसीटीवी फुटेज लेकर पहुंचे, लेकिन उनमेंअपराधियों का चेहरा तक दिखाई नहीं दिया।

प्राइवेट के भरोसे पुलिस

पुलिस का सीसीटीवी कैमरे का अपना कोई नेटवर्क नहीं है। कुछ गिने-चुने चौक-चौराहों पर कैमरे लगाए गए हैं। इसमें भी अधिकांश खराब पड़े हुए हैं। ऐसे में वारदात के बाद पुलिस प्राइवेट और सरकारी बिल्िडग के कैमरों पर निर्भर हो जाती है। ये भी जब कभी-भी दगा दे देते हैं। ऐसे में अपराधी पुलिस के हाथों से दूर होते चले जाते हैं।

पुलिस का बड़ा हथियार

पुलिस के खुफिया तंत्र में सीसीटीवी कैमरा बड़ा हथियार साबित हुआ है। इससे हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर 24 घंटे नजर रखी जा सकती है। अपराधियों की पहचान का भी रास्ता है। शहर में हर दिन अपराध होते हैं। उसके अपराधियों को खोजने के लिए सीसीटीवी की जरूरत महसूस होती है, लेकिन यहां पर सीसीटीवी की पहल तक नहीं की जा रही है।

एक साल से तैयार है प्रोजेक्ट

शहर के 120 चौक-चौराहों पर सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव एक साल से तैयार है, लेकिन इस पर एक कदम भी बढ़ाया नहीं गया है। ये अब तक कागजों पर ही बंद है। ये प्रस्ताव जमीन पर उतरे, तो अपराधियों पर अंकुश लग सके।