- एसएन में मार्च से बंद पड़ी हैं दवाई की दुकानें

- नए ठेकेदार ने ठेका लेने के बाद नहीं खोली दुकान

आगरा। दवाइयों के लिए भटकते मरीजों के लिए एसएन के प्रशासन द्वारा व्यवस्था तो की गई है लेकिन निजी एजेंसियां इसे बिगाड़ने में लगी हुई हैं। मरीजों को फ्री और सस्ती दवाएं मिल सके, इसके लिए एसएन में सहकारी दवाई की दुकानें तो हैं लेकिन मार्च से बंद पड़ी हैं। पुराने ठेकेदार का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने के बाद फिर से टेंडर निकले, कॉन्ट्रेक्ट भी हुआ लेकिन दुकान शुरू नहीं हुई।

मार्च से बंद हैं दुकानें

दवा की दुकान चलाने वाले पुराने ठेकेदार का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने से पहले अस्पताल प्रशासन ने व्यवस्था चालू रखने के लिए टेंडर निकाले। टेंडर जिस ठेकेदार ने कॉन्ट्रेक्ट लिया था उसे दुकान शुरू करने के लिए 75 दिन का वक्त दिया गया था। यदि वे 75 दिन में दुकान शुरू नहीं कर पाते हैं तो ठेका निरस्त माना जाता है। लेकिन इसकी फिक्र न करते हुए ठेकेदार ने अभी तक दुकानें शुरू नहीं की। वहीं हाल ही में दौरे पर आए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ। वीएन त्रिपाठी ने भी इसी ठेकेदार से दुकानें जल्द ही शुरू कराने की बात भी कही है। जबकि नियमों के अनुसार उसका ठेका निरस्त हो चुका है।

सहकारी दुकान से होता है फायदा

मरीजों को एसएन में सहकारी दवाई की दुकानों से बहुत फायदा होता है। मरीजों को बाहर की अपेक्षा यहां सस्ती दवाइयां मिलती हैं। वहीं अस्पताल की ओर से कुछ फ्री दवाएं भी मरीजों को मिलती है। मरीजों को अस्पताल प्रशासन की ओर से यह सुविधा मुहैया तो कराई गई है लेकिन फिर भी मरीजों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

अस्पताल प्रशासन के लिए भी नुकसानदायक है नया कॉन्ट्रेक्ट

पुराने ठेकेदार की अपेक्षा नए ठेकेदार से अस्पताल प्रशासन को नुकसान भी हो रहा है। पहले अस्पताल को एक लाख रुपए की दवाई फ्री मिलती थी। दवाओं पर 55 परसेंट डिस्काउंट मिलता था और दुकानों का एक लाख रुपए का किराया भी मिलता था। लेकिन नए ठेकेदार से हुए कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार यह सब घटकर आधा रह गया है। ठेकेदार की ओर से अस्पताल को सिर्फ 50 हजार की दवाएं मुफ्त मिलेंगी, दवाओं पर 22 परसेंट डिस्काउंट मिलेगा और दुकानों का किराया भी घटकर 50 हजार ही रह गया है।