-बड़े पुत्र के साथ आए थे मराठा नरेश, आगरा किला में रहे थे कैद

आगरा: आगरा में बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी म्यूजियम रखे जाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर देशभर में चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट इतिहास के पन्ने पलटते हुए मराठा नरेश के आगरा कनेक्शन को उजागर कर रहा है।

ठुकरा दिया था मनसबदार का पद

छत्रपति शिवाजी महाराज 16 मार्च, 1666 को अपने बड़े पुत्र संभाजी के साथ आगरा आए थे। इतिहासकार बताते हैं कि मुगल बादशाह औरंगबेज ने उचित सम्मान न दिया तो शिवाजी ने मनसबदार का पद ठुकरा दिया था। फिर वे राजा जय सिंह के पुत्र राम सिंह के आवास पर रुके। औरंगजेब ने राम सिंह से कहा कि वह अपने साथ शिवाजी को लेकर आगरा किला में आए। कहा जाता है कि शिवाजी नहीं आए। जिसपर औरंगजेब ने शिवाजी को राम सिंह के महल में ही कैद कर लिया। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि शिवाजी आगरा किले में कैद रहे।

ऐसे हुए थे किले से फरार

अभिलेखों के अनुसार, शिवाजी ने जेल में बीमार होने का बहाना बनाया। वे फलों की टोकरियां दान में भेजने लगे। 13 अगस्त 1666 को वे फल की एक टोकरी में बैठकर गायब हो गए। औरंगजेब हाथ मलता रह गया। कोठरी में शिवाजी के स्थान पर उनका चचेरा भाई हीरोजी चादर ओढ़कर लेटा रहा। इससे सुरक्षा प्रहरी भ्रम में रहे। आगरा किला के चारों ओर खाई है। सूखी खाई और पानी वाली खाई। मुगलकाल में यमुना आगरा किले से सटकर बहती थी। यमुना की ओर खुलने वाले आगरा किला के द्वार को वाटर गेट कहा जाता है। यहीं से शिवाजी की जेल की ओर जाने का रास्ता है। कहा जाता है कि शिवाजी वाटर गेट से होते हुए आगरा किले से गायब हो गए थे।

कहां-कहां गए?

इतिहासकार बताते हैं कि शिवाजी महाराज नाव पर बैठकर यमुना में ताजगंज श्मशान घाट स्थित मंदिर की ओर आए। यहां भी कुछ दिन छिपकर रहे। स्टेशन रोड स्थित महादेव मंदिर में भी रुकने की किंवदंती है। वे साधु-संतों की टोली में बैठकर मथुरा की ओर रवाना हो गए। औरंगजेब लाख जतन करने के बाद भी शिवाजी को नहीं पकड़ सका। आगरा किला के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक अमरनाथ गुप्ता कहते हैं कि अगर शिवाजी किले में कैद रहे हैं, तो वाटर गेट से ही पलायन का उचित मार्ग है। मुख्य द्वार से जाना संभव प्रतीत नहीं होता है।