आगरा(ब्यूरो)। डॉ। नीरज ने बताया कि बच्चों में लो ब्लड प्रेशर होने के कई कारण होते हैैं। डिहाइड्रेशन होने, कोई संक्रमण होने, हार्ट बीट कम होने, एनाफिलेक्सिस जैसी गंभीर एलर्जी होने पर बच्चों का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। यदि बच्चे को बेहोशी, चक्कर आना, कमजोरी होना, उल्टी आना, ज्यादा नींद आना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना जैसे लक्षण आएं तो ब्लड प्रेशर चेक करना चाहिए। यदि बीपी लो हो तो उसे उचित उपचार देने की जरूरत पड़ती है।

विभिन्न डॉक्टर्स ने रखी अपनी राय
एसजीपीजीआई के प्रोफेसर डॉ। कुंदन मित्तल ने मैकेनिकल वेंटीलेशन के बारे में जानकारी दी। बाल रोग विभाग की डॉ। मधुनायक ने दिमाग के रोगों की आपातकालीन स्थितियों के उपचार पर व्याख्यान दिया। एनीस्थिीसिया विभाग की डॉ। अर्पिता सक्सेना ने बच्चों में सिडैशन एवं एनाल्जेसिया के बारे में चर्चा की। डॉ। अनामिका गोयल ने एंबुलेंस के माध्यम से मरीज को शिफ्ट करने के दौरान ली जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी दी। डॉ। राम क्षितिज शर्मा ने बच्चों में गुर्दे संबंधित गंभीर बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

यह रहे मौजूद
वर्कशॉप के दौरान डॉ। शिव प्रताप सिंह, डॉ। राजेश्वर दयाल, डॉ। संयम अली खान, डॉ। शिखा गुप्ता, डॉ। नेहा अग्रवाल, डॉ। प्रीति अग्रवाल, डॉ। मेघा अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।


विभाग में बच्चों से जुड़ी सेहत पीडियाट्रिक फंडामेंटल क्रिटिकल केयर वर्कशॉप की गई। इसमें बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों के उपचार के बारे में चर्चा की।
- डॉ। नीरज यादव, एचओडी, बाल रोग विभाग, एसएनएमसी


मॉडर्न कॉन्ट्रीसेप्टिव है आईयूसीडी
आगरा। एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में आईयूसीडी पर एक वर्कशॉप की गई। इसमें विभागाध्यक्ष डॉ। रिचा सिंह, डॉ। उर्वशी, डॉ। रुचिका गर्ग, डॉ। पूनम यादव ने पीजी स्टूडेंट्स को आईयूसीडी लगाने की ट्रेनिंग दी। डॉ। रुचिका ने बताया कि आईयूसीडी एक अंर्तगर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण है। यह एक प्रकार का जन्म नियंत्रण है जिसे गर्भावस्था को रोकने के लिए गर्भाशय में डाला जाता है। यह पांच साल तक गर्भनिरोधक का कार्य करता है। डॉ। पूनम यादव ने बताया कि आईयूसीडी महिलाओं में होने वाली अधिक ब्लीडिंग को भी रोकता है, जिससे आगे चलकर हिस्टोरेक्टो से भी बचा जा सकता है। इसका लाभ यह भी है कि महिलाओं को गर्भ निरोधक दवा नहीं खानी पड़ती है। इस दौरान डॉ। दिव्या शर्मा ने आईयूसीडी पर एक लेक्चर भी दिया। डॉ। शिखा सिंह, डॉ। अनु पाठक व पीजी स्टूडेंट्स मौजूद रहे।