आगरा। हिंदुस्तानी चादर चढ़ाने के बाद अकीदतमंदों ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सलामती के लिए दुआ मांगी। उर्स में न केवल सतरंगी, बल्कि फूलों और मोतियों की चादर भी उर्स में आकर्षण का केंद्र बनी रही।

उमड़ पड़ा सैलानियों का सैलाब
मंगलवार को पूरे दिन निशुल्क प्रवेश के कारण ताजमहल में सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा। सूर्योदय के साथ ही ताजमहल में प्रवेश के लिए पर्यटकों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। एक अनुमान के मुताबिक उर्स के दौरान तीन दिनों में करीब डेढ़ लाख पर्यटकों ने ताजमहल का दीदार किया है।

गुस्ल की रस्म से हुई थी शुरूआत
शाहजहां का उर्स रविवार को गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हुआ था। सोमवार को संदल की रस्म हुई। मंगलवार सुबह ताजमहल खुलने के बाद कुलशरीफ हुआ और फातिहा पढ़ा गया। इसके बाद तवर्रुख बांटा गया। पहली चादर उर्स कमेटी द्वारा चढ़ाई गई। मुख्य मकबरे के द्वार पर कव्वालों ने कव्वालियां प्रस्तुत कीं। रॉयल गेट पर शहनाई गूंजती रही। सुबह से स्मारक में नि:शुल्क प्रवेश होने से बड़ी संख्या में स्थानीय पर्यटक पहुंचना शुरू हो गए थे। मुख्य आकर्षण का केंद्र दोपहर ढाई बजे खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी द्वारा चढ़ाई जाने वाली हिंदुस्तानी सतरंगी कपड़े की 1381 मीटर लंबी चादर रही।


एएसआई ने भी की चादरपोशी
शाहजहां के परंपरागत उर्स के अंतिम दिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) ने भी चादर चढ़ाई गई। इसमें अधीक्षण पुरातत्वविद आरके पटेल एवं वरिष्ठ संरक्षक सहायक प्रिंस बाजपेई, राजकुमार कपूर, तनुज शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।


खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि हिंदुस्तानी सतरंगी कपड़े की 1381 मी। लंबी चादर सर्वधर्म सद्भाव का प्रतीक है। पिछली बार उर्स मेंं 1331 मीटर लंबी चादर चढ़ाई गई थी। चादरपोशी के दौरान चादर दो बार टुकड़ों में बंट गई। सिलाई व गांठ खुलने की वजह से ऐसा हुआ।

उर्स के अंतिम दिन रिकॉर्ड भीड़
उर्स के अंतिम दिन ताजमहल में पूरे दिन निशुल्क प्रवेश होने से रिकार्ड भीड़ उमड़ी है। पिछले एक दशक में उर्स में इतनी भीड़ कभी नहीं रही है। ताजमहल के निशुल्क दीदार का ख्वाब लोगों को खींचे ला रहा है। आज महाशिवरात्रि का अवकाश होने से बड़ी संख्या में स्थानीय पर्यटक व युवा ताजमहल देखने पहुंच रहे हैं।

बगीचों में घुसे सैलानी
मंगलवार को ताजमहल में निशुल्क प्रवेश होने के कारण एंट्री से लेकर मकबरे तक ताजमहल में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। भीड़ को मैनेज करने के लिए सीआईएसएफ के जवान पूरे परिसर में मौजूद रहे। लंबी-लंबी लाइनों के जरिए सैलानियों को मकबरे तक पहुंचाया जा रहा था। इसके बावजूद ताजमहल में आए सैलानियों ने नियमों की खूब अनदेखी की। जिन पार्को में जाना मना होता है वहां पर सैलानी लेटे पड़े थे। इसके साथ ही सेंट्रल टैैंक और फव्वारे में भी लोग उतर गए। सिक्योरिटी गार्ड उन्हें बार-बार भगाते रहे। लेकिन लोग मान ही नहीं रहे थे।