-टीबी के पेशेंट्स डायबिटीज और डायबिटीज के पेशेंट्स टीबी की टाइम टू टाइम कराएं स्क्रीनिंग

आगरा। भारत में डायबिटीज और टीबी दोनों एक दूसरे के खतरे को बढ़ा रहे हैं। दोनों ही बीमारियों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इससे डायबिटीज के पेशेंट्स में टीबी होने का खतरा 2 से 3 परसेंट और टीबी के पेशेंट्स में डायबिटीज होने का खतरा 4 से 5 परसेंट बढ़ जाता है। इंडिया में ऐसे पेशेंट्स की संख्या 30 परसेंट तक है। इंडिया में डायबिटीज के 8 करोड़ और टीबी 25 लाख पेशेंट्स हैं।

कराते रहें स्क्रीनिंग

फतेहाबाद रोड स्थित केएनसीसी में आयोजित एपीकॉन के तीसरे दिन ओडिशा के डॉ। जयन्त पांडा ने अपने व्याख्यान में बताया कि विकसित देशों में डायबिटीज है, लेकिन वहां टीबी को कंट्रोल कर लिया गया है। जबकि भारत में दोनों ही बीमारियों के पेशेंट्स की संख्या अधिक है। इसलिए टीबी के पेशेंट्स को डायबिटीज और डायबिटीज के पेशेंट्स को टीबी की स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए। डॉ। पांडा ने बताया कि दोनों बीमारियों के साथ होने पर इन्हें कंट्रोल करना मुश्किल होता है।

बीच में बंद न करें मेडिसिन हाइपोथॉयराइड पेशेंट्स

डॉ। प्रभात अग्रवाल ने हाइपोथाइरायड कोमा विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि इसमें दवा बीच में बंद करने की स्थिति में बीमारी जटिल हो जाती है। अक्सर सर्दी के मौसम में विशेषकर महिलाएं बेहोशी की हालत में डक्टरों के पास पहुंचती हैं। ऐसा बीच में दवा बंद करने के कारण होता है। भारत में हाइपोथॉयरायड मरीजों की संख्या लगभग 10-12 प्रतिशत है।

नए वायरस का अटैक, तैयार रहें डॉक्टर

दुनिया के साथ ही भारत में नए-नए वायरस का अटैक हो रहा है। यह घातक हो रहे हैं। इससे लोगों की जान जा रही है। केएनसीसी, फतेहाबाद रोड पर सजाए गए एपीकॉन सिटी में कांफ्रेंस में तीसरे दिन वायरस के अटैक पर चर्चा की गई। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा 2020 में जीका, निपाह और इबोला वायरस के बढ़ते हुए खतरे, इसकी रोकथाम और इलाज के लिए डॉक्टरों को चेताया है। एपीआई के डॉक्टर्स भी इस दिशा में काम कर रहे हैं।

कीटनाशक व रासायनिक खाद से हो रही किडनी खराब

चेन्नई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ। बालाजी कृष्णनन ने बताया कि खेतों में पेस्टेसाइड यूज लोगों की किडनी खराब कर रहे है। वहां की मिट्टी और पानी में मिलकर हेवी मैटल लोगों के शरीर में पहुंच कर किडनी पर असर डाल रहे हैं। लगभग 20-30 फीसदी ग्रामीणों में किडनी की समस्या है। वहीं 60 फीसदी डायबिटिक रोगियों में किडनी खराब हो रहा है। ब्लड शुगर किडनी की झिल्ली को डेमैज कर देती है। जिन डायबिटिक रोगियों में पैरों व चेहरे पर सूजन, खाने का मन न होना, उल्टी आना, मूत्र का रंग भूरा या लाल जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। उन्हें किडनी की जांच अवश्य करानी चाहिए।

डायबिटिक पेशेंट्स एक्सरसाइज से करें दवा में कटौती

चंडीगढ़ से आए डॉ। केवीएस हरि कुमार ने बताया कि डायबिटीज के पेशेंट्स को कम कैलोरी लेनी चाहिए। भारतीयों के खाने में 50 फीसद कार्बोहाइड्रेड, 30 फीसद प्रोटीन और 20 फीसद फैट लेते हैं। कार्बोहाइड्रेड कम लेना चाहिए, लेकिन लोग चावल अधिक खाते हैं, इससे शरीर मे कार्बोहाइड्रेड ज्यादा पहुंच रहा है। ये घातक साबित हो सकता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम के फिटनेस फिजीशियन डॉ। के जोसफ राजन ने बताया कि डायबिटिक पेशेंट्स को रेग्यूलर एक्सरसाइज करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वीक में चार दिन सुबह जोगिंग करें और तेज टहलें। इससे चार महीने में ब्लड ग्लूकोज का स्तर 160 से कम होकर 130 तक पहुंच सकता है। इसके बाद आप डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी दवा में कटौती कर सकते हैं।

आज होगा समापन

चार दिवसीय एपीकॉन का गुरुवार को समापन होगा। पोस्टर व रिसर्च पेपर के विजेता प्रतिभागियों को सम्मनित किया जाएगा। कॉन्फ्रेन्स में आयोजन समिति के सचिव डॉ। पीके माहेश्वरी, अध्यक्ष डॉ। टीपी सिंह, डॉ। मनीष बंसल, डॉ। प्रभात अग्रवाल, डॉ। आशीष गौतम, डॉ। निखिल पुरसनानी, डॉ। अंजना पांडे, डॉ। जितेन्द्र दौनेरिया उपस्थित रहे।