आगरा(ब्यूरो)। भारत सरकार एक जुलाई 2023 से पूरे देश में यह नियम लागू कर रही है। इसके तहत सूक्ष्म और लघु मेन्युफैक्चर्स को छोड़कर अन्य शू मेन्युफैक्चर्स को बीआईएस मानकों को पूरा करना पड़ेगा।

बीते दिनों में इफकोमा (इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मेन्युफैक्चर्स एसोसिएशन) द्वारा आगरा में आयोजित हुए शूटेक आगरा में शू कारोबारियों ने इस फैसले पर चर्चा की। इफकोमा के प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने बताया कि एक जुलाई से बड़े मेन्युफैक्चर्स को बीआईएस मानकों को पूरा करना होगा। इसमें फ्लैक्स टेस्ट, बॉन्डिंग टेस्ट, एब्रेशन टेस्ट सहित अन्य टेस्ट किए जाएंगे। इसमें देखा जाएगा कि जूता कितना मुड़ता है। जूते की पेस्टिंग मजबूत है या नहीं, जूता कितना चलने पर घिसेगा।

शू कारोबारी और बीआईएस के जानकार अमित चोपड़ा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा एक जुलाई 2023 से लागू किए जाने वाले नियम के तहत 50 करोड़ रुपए से ऊपर के कारोबार वाले मेन्युफैक्चर्स को जूते बनाते वक्त 44 प्रकार के टेस्ट से होकर गुजरना होगा। वहीं चप्पल को 24 तरह के टेस्ट से होकर गुजरना होगा। इससे बाजार में बीआईएस द्वारा जारी किए गए मानकों को पूरा करने वाले शू प्रोडक्ट बाजार में आ जाएंगे।

पुराने स्टॉक की होगी मुश्किल
शू कारोबारियों का कहना है कि एक जुलाई से यह नियम लागू होने से शू कारोबारियों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। पहले से ही शू की मेन्युफैक्चरिंग हो जाती है। ऐसे में जिन लोगों के पास पुराना स्टॉक होगा। उसके लिए मुश्किल हो सकती है। इसलिए कारोबारियों के मन में इसको लेकर थोड़ी परेशानी है। वहीं शू का कारोबार असंगठित काफी बड़ी संख्या में है। ऐसे में इस कानून को पूरी तरह से लागू कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।


एक जुलाई से सरकार शू पर बीआईएस मानकों को लागू करने जा रही है। इसके तहत माइक्रो और स्मॉल मेन्युफैक्चर्स को इन नियमों का पालन करना होगा।
- संजय गुप्ता, प्रेसिडेंट इफकोमा

बीआईएस मानको के अनुसार जूते को 44 टेस्ट से होकर गुजरना होगा और चप्पल का 24 प्रकार के टेस्ट से होकर गुजरना होगा। इसमें एक्सपोट्र्स को छूट दी गई है।
- अमित चोपड़ा, एमडी, शू एंड एसेसरी

01 जुलाई से लागू होगा नियम
24 टेस्ट से गुजरेगी चप्पल
44 टेस्ट से गुजरेगा जूता


यह है बीआईएस
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैैंडर्ड एक मानक निकाय है। बीआईएस 2016 अधिनियम के तहत यह बनाया गया है। इसके तहत भारत में विभिन्न उत्पादों को ग्राहकों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए किया जाता है। सुरक्षा वाले उत्पादों पर यह आईएसआई मार्का का उपयोग करती है और सोने के उत्पादों पर हॉलमार्क का उपयोग करती है। वहीं इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आर-नंबर द्वारा प्रमाणिकता की पुष्टि की जाती है।