आगरा। देश के प्रत्येक जिले में दयालबाग जैसा शिक्षण संस्थान होना चाहिए। कोरोना काल में जिस तरह से यहां काम हुआ है, यह देश-दुनिया के लिए उदाहरण है। यह कहना था भारत में आइटी क्रांति के जनक सैम पित्रोदा का। वे दयालबाग शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की जरूरत है। संस्थान की तरफ से प्रो। सी.पटवर्धन ने शिक्षा प्रणाली एवं उसके आदर्शो को प्रस्तुत किया। डा। विजय कुमार ने बताया कि इस बीमारी के खतरे को भांप कर इसके बचाव में फरवरी से ही मास्क, हेलमेट और दस्ताने का उपयोग यहां शुरू कर दिया गया था। प्रो। के.स्वामी दया, डा। प्रेम सेवक सुधीश, प्रो। के महाराज कुमारी ने भी जानकारी दी। प्रो। के हंसराज ने बोस्टन में आयोजित हेकाथोन में संस्थान की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। परिचर्चा का संचालन संस्थान के अध्यक्ष प्रेम प्रशांत व निदेशक प्रो। पीके कालरा द्वारा किया गया। दयालबाग शिक्षा सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो। पीएस सत्संगी भी उपस्थित रहे।