आगरा(ब्यूरो)। यमुना एक्सप्रेस वे व लखनऊ एक्सप्रेस वे अथोरिटी के दुर्घटना रोकने के तमाम प्रयास हर बार फेल हो जाते हैं। एक्सप्रेस वे की संस्तुति पर शासन से निर्देशित किया गया। कई नियम बने लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। अगर अमल किया जाता तो शायद मंगलवार तड़के हुआ हादसा न होता। और यह कोई पहला हादसा नहीं इससे पहले भी कई इस तरह के हादसे हुए हैं। जिनमें मुख्य कारण ड्राइवर का झपकी लगना ही है।

हरियाणा लौट रही थी बस
करनाल, हरियाणा के रहने वाले बस चालक गौरव श्रद्धालुओं को लेकर अयोध्या गए थे। मंगलवार को बस यमुना नगर, हरियाणा लौट रही थी। फतेहाबाद क्षेत्र में एक्सप्रेसवे पर चालक की झपकी लग गई। इससे बस आगे चल रहे ट्रक में जा घुसी। यात्रियों में चीखपुकार मच गई। यूपीडा के मुख्य अधिकारी आरएन ङ्क्षसह, सुरक्षा अधिकारी राधा मोहन द्विवेदी, सोबरन ङ्क्षसह, इंस्पेक्टर राकेश कुमार चौहान, एसआइ अनुज शर्मा मौके पर पहुंच गए। उन्होंने राहगीरों की मदद से बस से यात्रियों को बाहर निकाला और अस्पताल भिजवाया। हादसे में 23 लोग घायल हुए।

हादसे में ये हैं घायल
करनाल के सचिन, मोहित, सुदोष, रितु राणा और सीमा। यमुना नगर के जसङ्क्षवदर ङ्क्षसह, गौरव, सुभाष चंद्र, मोहित, ऋतिक, अतर ङ्क्षसह, आशारानी और प्रेम चंद। अंबाला के संतोष, सरोज, राजरानी, सीमा शर्मा और कैलाशु देवी। कुरुक्षेत्र के सुभाष और अनीता। सहारनपुर के मुस्कान और मंजू। पंचकूला की प्रमिला और चंडीगढ़ की सुनीता रानी। इनमें से बस चालक गौरव, सीमा शर्मा, मोहित, सुभाष चंद्र और अनीता की हालत गंभीर है।

11,168 घायलों में से 4,181 की लगी है झपकी
यमुना एक्सप्रेस वे पर साल 2012 से साल 2023 के बीच 7625 सड़क हादसे हुए हैं। इन हादसों में 1025 लोगों की मौत हुई है। आगरा-नोएडा और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर औसतन हर चार दिन में एक मौत हो रही है। परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में बताया कि भारत में पिछले साल कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। आगरा में एक्सप्रेस वे पर हादसों में घायलों की संख्या 11,168 थी। जिसमें से 4,181 लोग झपकी आने के कारण घायल हुए।

-यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे और मौतों का ब्यौरा
वर्ष हादसे मौतें
2012 275 33
2013 896 148
2014 771 98
2015 919 99
2016 1219 133
2017 763 146
2018 649 111
2019 560 195
2020 509 122
2022 311 102
2023 411 92

यूपीडा नहीं देता हादसों की जानकारी
अधिवक्ता केसी जैन द्वारा आरटीआई से आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसों की जानकारी भी मांगी थी। केसी जैन ने बताया कि यूपीडा को एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में न तो चालान की जानकारी है और न ही हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की। घायलों को हॉस्पीटल पहुंचाने का ब्योरा भी यूपीडा के पास नहीं है। यूपीडा ने आरटीआई में जवाब दिया है कि दस जिलों से गुजर रहे एक्सप्रेसवे पर उल्लंघन की जानकारी पुलिस से मिलेगी। जबकि आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ जिलों से निकल रहे एक्सप्रेसवे पर 50 पीटीजेड कैमरे लगे हुए हैं। आरटीआई में एंबुलेंस द्वारा घायलों को हॉस्पीटल पहुंचाने का ब्योरा मांगा गया जो यूपीडा नहीं दे पाया। 10 एंबुलेंस तैनात हैं लेकिन कितनी बार चलीं इसकी जानकारी उनके पास नहीं है।

आईआईटी दिल्ली के इंजीनियर ने किया था ऑडिट
यमुना एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन हादसों को रोकने के लिए आईआईटी दिल्ली से ऑडिट भी कराई थी। आईआईटी दिल्ली ने इसका सुरक्षा ऑडिट भी किया था। और इसकी पूरी रिपोर्ट यमुना प्राधिकरण को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में आईआईटी दिल्ली ने एक्सप्रेस वे की सेन्ट्रल वर्ज को हटाने का सुझाव दिया था।

- आईआईटी दिल्ली के यह थे सुझाव.
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सड़क सुरक्षा निगरानी समिति के आदेश पर यमुना एक्सप्रेस वे के आडिट के बाद सुझाव दिए थे।
- यमुना एक्सप्रेसवे के प्रवेश व निकास द्वार और जन सुविधाओं के पास रंबल स्ट्रिप लगाए जाएं जिससे वहां पर वाहनों की गति कम हो सके।
- निकास द्वार पर क्रश एटीन्यूटर्स लगाए जाएं ताकि टकराने पर नुकसान कम हो। -एक्सप्रेसवे पर साइन बोर्ड की संख्या बढ़ाएं।
- एक्सप्रेसवे के किनारे बैरियर को और ऊंचा किया जाए।
- वाहनों की गति पर नियंत्रण के लिए चालान सिस्टम को और दुरुस्त किया जाए।
- एक्सप्रेस वे की सेन्ट्रल वर्ज को हटाया जाए।


-गाड़ी चलाते समय नींद की झपकी आना कई लोगों के लिए बड़ी समस्या है। इसके पीछे पर्याप्त नींद न होना होता है। मेडीकल में इस इस बीमारी को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया बताते हैं। लोगों को खान पान के साथ नियमित नींद भी लेनी चाहिए। शुगर के पेशेंट को ड्राइविंग से बचना चाहिए।
-डॉ। विनय गोयल, इमरजेंसी विभाग जिला अस्पताल.

-आरटीआई के जबाव में यूपीडा ने बताया है कि उनके पास 10 एंबुलेंस हैं। लेकिन इनका उपयोग कब हुआ। इसका ब्योरा नहीं है। शुरुआत में कुछ साल में 100 हादसों की जानकारी तो दी इसके बाद कह दिया संबंधित थानों से सुचना प्राप्त करो। मैंने परिवहन सचिव के समक्ष मुद्दा उठाया है।
- केसी जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता।