गायनिक वार्ड में हाल बुरा
एसएन मेडिकल कॉलेज के गायनिक डिपार्टमेंट की अधिकांश महिलाओं को ऑपरेशन की स्थिति में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां पर आने वाली महिलाओं को टॉयलेट के लिए सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। डिपार्टमेंट के बाहर समाजसेवी संस्था की ओर से एक पानी का ठेला लगाया गया है, जहां से अटेंडेंट पानी लेते हैं, कभी-कभी पानी खत्म होने पर मजबूरन मिनरल वॉटर की बोतल खरीदनी पड़ती है।

पीडियाट्रिक्स में भी पानी की किल्लत
पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट में भी पानी की किल्लत बरकरार है। यहां पर पानी की टंकी तो है, मगर टॉयलेट के नलों में टोंटी तक नहीं हैं, जिससे टंकी सुबह से ही खाली हो जाती है। दिनभर उन्हें बाहर से ही पानी लाना पड़ता है। ऐसे में पानी की मुसीबत से उन्हें दिनभर दो-चार होना पड़ता है। एसएन मेडिकल कॉलेज में यही हाल अन्य विभागों का भी है। पानी की किल्लत की वजह से यहां भी लोगों को टॉयलेट के लिए बाहर के पानी का सहारा लेना पड़ता है। कई बार तो पानी खरीदना भी पड़ता है।

बर्बाद हो रहा लाखों लीटर पानी
पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के बाहर तिकोनियां पर लगी प्याऊ, जहां पानी पीने और बर्तन धोने की सुविधा है। प्याऊ के बाहर लटका दो इंच का पाइप सुबह से शाम तक बहता रहता है। अटेंडेंट मानिक चंद ने बताया कि ये पीने का शुद्ध पानी है, जो नालियों में बह रहा है। जबकि अन्य विभागों में पानी की समस्या है। विभाग के लोग अपने लिए अलग से पानी की व्यवस्था करते हैं।

ओपीडी में खाली मटकों से प्यास बुझान का इंतजाम

एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में रोजाना लगभग 2 हजार मरीज आते हैं। उनके लिए पानी की व्यवस्था की गई है। विभाग के मुख्य गेट पर पानी के दो मटके रखे हैं। उन मटकों में पानी नहीं था। वहीं उसी गेट के बाहर आरओ का पाइप बाहर निकल रहा था, जिसमें सुबह से शाम तक सैकडों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। खाली मटके और आरओ के नल से बर्बाद हो रहा पानी अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है।


पानी नहीं तो कैसे दुरुस्त होगी सफाई
सिर्फ मरीज और तीमारदारों को ही पानी की शॉर्टेज से नहीं जूझना पड़ता, बल्कि यहां तैनात सफाईकर्मियों को इस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। पानी की शॉर्टेज की वजह से यहां पर सफाई की भी दिक्कत होती है। कई बार रूम की साफ-सफाई और टॉयलेट की धुलाई पानी की कमी की वजह से नहीं हो पाती है।

टंकियों के लीकेज से बिल्डिंग हो रही जर्जर
एसएन मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंंट मेें लगी अधिकांश पानी की टंकियां लीक करती हैं, जिससे पानी भरने के बावजूद भी कुछ घंटों में ही पानी समाप्त हो जाता है। एसएन के ऊपरी बिल्डिंग से पानी लीक हो रहा था। एसएन मेडिकल कॉलेज की अधिकांश बिल्डिंग के जर्जर होने का सबसे बड़ा कारण उनकी छत पर दिनभर पानी गिरता रहता है, लेकिन एसएन प्रशासन अभी भी सो रहा है। वो शायद कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहा है।


सामजसेवी बुझा रहे प्यास
एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पीने का शुद्ध पानी नहीं हैं। पुलिस चौकी के पास लगी प्याऊ का पानी पीने योग्य नहीं है। मरीज के साथ आए अटेंडेंट ने बताया कि इमरजेंसी के ठीक सामने श्री नाथ फ्री जल सेवा है, वे अपने और मरीज के लिए पीने का पानी वहीं से लाते हैं। उधर पीडियाट्रिक के बाहर महाराजा अग्रसेन सेवा समिति द्वारा आरओ के ठंडे पानी की व्यवस्था की है। लेकिन करोड़ों रुपए के बजट को ठिकाने लगाने वाले एसएन की ओर से पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

बॉक्स
फैक्ट एंड फिगर
-2500 मरीज रोजाना एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में आते हैं
-500 पेशेंट एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में आते हैं रोजाना
-980 एसएन मेडिसन विभाग में बेड की सुविधा
-350 स्पेशलिटी बेड, एसएन मेडिकल कॉलेज में
-800 एसएम मेडिकल कॉलेज में स्टॉप करीब



ओपीडी में आने वाले मरीज पानी नहीं मिलने से परेशान रहते हैं, ऐसे में गेट पर रखा मटका जो खाली हो जाता है। इससे मरीज पानी को तरसते रहते हैं। यहां आरओ प्लांट लगाना चाहिए।
मानिक चंद, अटेंडेंट


अस्पताल में गर्मी के दिनों में अस्पतालों में काफी फजीहत होती है। वार्ड से लेकर ओपीडी में भीड रहती है। कहीं पंखा चल रहा है। कहीं नहीं चल रहा है।
अशीष पाराशर, अटेंडेंट


पर्चा काउंटर के पास वाटर मशीन की व्यवस्था है, लेकिन वो स्टॉप के लिए है, मरीज और उनके साथ आने वाले अटेंडेंट के लिए मटके का पानी है, पानी खत्म होता है तो फिर नहीं भरा जाता है।
विवेक, अटेंडेंट


इमरजेंसी में अव्यवस्थाएं बहुत है। इसके चलते मरीजों और अटेंडेंट को भी परेशान होना पड़ता है। लाखों रुपए बजट आता है, जनता को पीने का पानी तो दे ही सकते हैं।
विजय कुमार बधुराजा, समाजसेवी


एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पानी की व्यवस्था है, जो ठंडा पानी नहीं पीना चाहता उसके लिए मटके का पानी रखवाया गया है। अभी एक वाटर मशीन आनी है। इमरजेंसी में वाटर कूलर है। अगर कोई समस्या है तो वो कार्यालय में संपर्क कर सकता है।

डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा