आगरा(ब्यूरो)। नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो स्निग्धा सिंह ने बताया कि विभाग में तीन नई मशीनों की शुरुआत की गई है। इसमें ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप मशीन जो कि विश्व स्तर की है। हालांकि माइक्रोस्कोप पहले भी था लेकिन इस मशीन से सर्जरी की गुणवत्ता और क्वॉलिटी में काफी इजाफा होगा और मरीज को बेहतर रोशनी देने में सफल होंगे।

मरीज को नहीं करना पड़ेगा रेफर

उन्होंने बताया कि दूसरी मशीन ऑटोमेटेड पेरिमीटर ग्लूकोमा की जांच के लिए है। आंख की बीमारी से संबंधित मरीजों के देखने का दायरा (फील्ड ऑफ विजन) कम हो जाता है। ऐसे में 5 से 6 महीने में उनकी जांच की जाती है। इस मशीन की वजह से अब उन्हें कहीं और रेफर नहीं करना पड़ेगा क्योंकि अगर एक बार ऐसे मरीजों का विजन चला गया तो फिर उसे दोबारा ला पाना काफी मुश्किल है।

आंख का हो सकेगा अल्ट्रासाउंड
प्रो। स्निग्धा सेन ने बताया कि तीसरी मशीन अल्ट्रासाउंड की है, इसे बी स्केन भी कहा जाता है। इस मशीन से आंखों का अल्ट्रासाउंड किया जाएगा क्योंकि आंखों के पर्दे में पीछे की तरफ कई बीमारियां ऐसी होती है जिनको अल्ट्रासाउंड के द्वारा ही देखा जा सकता है। अभी तक रेडियोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को भेजा जाता था। ऐसे में मरीजों को 10 से 15 दिन की वेटिंग भी मिलती थी लेकिन अब नेत्र विभाग में ही अल्ट्रासाउंड मशीन लगने की वजह से तत्काल मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल सकेगी।

स्टूडेंट्स को भी मिलेगी मदद
विभागाध्यक्ष प्रो। स्निग्धा सेन ने बताया कि विभाग में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑफलमोलॉजी के मासिक जर्नल का सब्सक्रिप्शन भी अब उपलब्ध कराया है। इससे पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के पठन-पाठन एवं शोध कार्यों में लाभ मिलेगा। इस मौके पर प्रो। स्निग्धा सेन के पति धर्मेंद्र सिंह ने विभाग के सेमिनार कक्ष के लिए दो एयरकंडीशनर भेंट किए। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। तिरूपतिनाथ, डॉ। अनु जैन, वाइस प्रिंसिपल डॉ। टीपी सिंह, डॉ। शेफाली मजूमदार, डॉ। पिंकी वर्मा, मीडिया प्रभारी डॉ। प्रीति भारद्वाज आदि उपस्थित रहीं।

नेत्र रोग विभाग में तीन नई मशीनें मिली हैैं। ये मशीनें नेत्र रोगों के निदान और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी