- रामवृक्ष के सुरक्षा कमांडर वीरेश ने पूछताछ में उगला राज

- भाजपा के एक नेता ने किया था पूरी मदद करने का वायदा

- जवाहरबाग में बनाया था कार्यालय, आगरा में भी होती थी बैठकें

- रामवृक्ष से एकांत में रात को करते थे कई-कई घंटे तक गुफ्तगू

मथुरा। स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के मुखिया और जवाहरबाग कांड के मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव का सुरक्षा कमांडर वीरेश यादव बुधवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पूछताछ में उसने पुलिस को सनसनीखेज जानकारी उगली। बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पूर्व प्रचारक की रामवृक्ष से गहरी दोस्ती थी। पूर्व प्रचारक जवाहरबाग में लोगों को लाठी-डंडे चलाने आदि की ट्रे¨नग देते थे। इनका जवाहरबाग में अलग कार्यालय था, जहां पर हर किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। भाजपा के एक बड़े नेता भी इनके साथ अक्सर जवाहरबाग आते थे। स्वाधीन भारत के मिशन के लिए रामवृक्ष को आर्थिक मदद भी करते थे। जवाहरबाग में ही नहीं, आगरा में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन की कोर कमेटी के सदस्यों की बैठकें इन पूर्व प्रचारक के सानिध्य में होती रहीं हैं।

पूछताछ में कई राज उगले

बदायूं के थाना उझानी क्षेत्र के गांव रेमइया निवासी वीरेश यादव को पुलिस ने बुधवार को थाना हाईवे क्षेत्र की बालाजीपुरम कॉलोनी से गिरफ्तार किया। दो जून को जवाहरबाग ¨हसा के दौरान उसकी पत्नी सुमन और बेटी पूनम बिछुड़ गई थी। वह दोनों की तलाश में ही मथुरा आया था। एसएसपी बबलू कुमार ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि वीरेश यादव रामवृक्ष के मिशन की मुख्य कड़ी था। पूछताछ में उसने पुलिस के सामने कई महत्वपूर्ण राज उगले हैं। पूर्व में गिरफ्तार किए जा चुके चंदनबोस और राकेश गुप्ता द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर भी उसने अपनी मुहर लगा दी। वीरेश यादव ने बताया कि आगरा के राजवीर सिंह करीब एक साल से रामवृक्ष से मिलने आ रहे थे। कई बार रात को जवाहरबाग में आए थे। हालांकि एसएसपी ने राजवीर सिंह को आरएसएस के पूर्व प्रचारक होने की पुष्टि नहीं की, मगर वीरेश यादव ने मीडिया के सामने बताया कि आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी राजवीर सिंह अक्सर जवाहरबाग आते थे। जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय और बाग में बनाए गए मंच के बीच में इनके लिए अलग से एक कार्यालय बनाया गया था। इनके साथ भाजपा के एक नेता भी आते थे। वीरेश भाजपा नेता के बारे में और कोई जानकारी नहीं दे सका।

भाजपा का झंडा उतार दिया जाता था

बकौल वीरेश, राजवीर सिंह और भाजपा नेता को भाजपा का झंडा लगाकर जवाहरबाग में प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी। जवाहरबाग के मुख्य गेट पर ही इनकी गाड़ी से झंडी उतरवा ली जाती थी। स्वाधीन भारत का झंडा लगाकर अंदर जाने दिया जाता था। ये सभी लोग रात को ही आया करते थे। चंदनबोस इनकी रामवृक्ष यादव से मुलाकात कराता था। इन्हे ं'गुरुजी' के नाम से सभी लोग पुकारते थे। 'गुरुजी' के कार्यालय में ही मिशन की कोर कमेटी की बैठक होती थी। इसमें रामवृक्ष यादव के साथ ही चंदनबोस, राकेश गुप्ता, हरिनाथ और वीरेश यादव भी शामिल होते थे। इसके बाद सभी को कार्यालय से बाहर निकाल दिया जाता। इसके बाद रामवृक्ष यादव और राजवीर सिंह की एकांत में गुफ्तगू होती थी।

आगरा में भी हुई बैठक

गुरुजी उर्फ राजवीर सिंह के साथ भाजपा के एक बड़े नेता भी आते थे। वीरेश ने बताया कि मिशन के आगे बढ़ाने के लिए लाखों की धनराशि भी चंदे के रूप में दी थी, जो करीब 24 लाख रुपये बताई गई है। वीरेश ने मीडिया के सामने यह भी बताया कि कई बार कोर कमेटी के सदस्यों के साथ आगरा में भी राजवीर सिंह और भाजपा नेता के साथ बैठकें हुईं। मगर वो आगरा में मीटिंग के स्थान आदि की जानकारी नहीं दे सका। एसएसपी ने बताया कि राजवीर सिंह उर्फ गुरुजी जवाहरबाग में रहने वाले बच्चे और युवकों को चिह्नित करते थे। गुरुजी इन बच्चों और युवकों को लाठी-डंडा, रस्साकशी आदि की ट्रे¨नग देते थे। गुरुजी के निर्देशन में ही बिहार के सुनील, कानपुर देहात के महेश और अनूप सरदार उन्हें लाठी चलाने, रस्साकशी के साथ ही गुरिल्ला हमले के लिए प्रैक्टिस कराते थे। एसएसपी ने बताया कि वीरेश यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है। पत्रकार वार्ता के दौरान एसपी देहात अरुण कुमार, एसपी सिटी अलोक प्रियदर्शी, एएसपी कुंपर अनुपम सिंह, सीओ मांट संजय सिंह भी मौजूद रहे। इससे पहले वीरेश यादव से पुलिस लाइन में घंटों पूछताछ हुई। वीरेश की गिरफ्तारी होने की जानकारी होते ही उसकी पत्नी सुमन अपनी बेटी के साथ पुलिस लाइन पहुंच गई। सुमन बालाजीपुरम में ही शरण लिए थी। पुलिस ने इन मां-बेटी से भी पूछताछ की।