दुकानों पर चश्मों खरीदने वालों की लगी भीड़
शहर में चाहे दुकान हो या फिर रास्ते पर स्टॉल लगाकर चश्मे बेचने वालों की दुकान हो। यहां पर लोग आपको चश्मे खरीदते हुए दिख जाएंगे। रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने भी एमजी रोड पर लगी इन स्टॉलों पर जाकर देखा। यहां पर चश्मा खरीदने वालों की लाइन लगी हुई थी। विक्रेता राजू ने बताया कि इस वक्त चश्मों की बिक्री काफी हो रही है। पहले महीने भर में जितना स्टॉक बिकता था अब वो दो दिन में ही खत्म हो जा रहा है। इस वक्त छोटे बच्चों के लिए भी चश्मे की काफी डिमांड बढ़ गई है। उन्हें स्पेशियली दिल्ली से मंगवाना पड़ रहा है। अन्य विक्रेता विवेक ने बताया कि आई फ्लू के कारण लोग खूब चश्मे खरीद रहे हैैं। इस वक्त स्टॉक भी जल्दी खत्म हो रहा है। लेकिन हमने रेट नहीं बढ़ाए हैैं।

देखने से नहीं हाईजीन रखने से होगा बचाव
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ। मयंक महाजन ने बताया कि आई फ्लू कोरोना वायरस की तरह ही एक फ्लू है। यह हवा से नहीं फैलता है यह कॉन्टेक्ट से ही फैलता है। आंखों को देखने आईफ्लू नहीं फैलता है। ऐसा नहीं है कि काला चश्मा पहनने से इससे बचाव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि हाथों को साफ रखने से और आंखों से हाथ न लगाने से ही आईफ्लू रुकेगा। डॉ। महाजन ने एग्जांपल देते हुए बताया कि जैसे आप ऑफिस गए। आपकी आंखों में आईफ्लू हो गया है। आपने अपनी आंखों से हाथ लगाया और डेस्क पर, रेलिंग पर, गेट के हैैंडल पर हाथ लगा दिए। यदि ऑफिस कलीग ने इन जगहों को छूकर अपनी आंखों से लगा लिया तो ऑफिस कलीग भी आईफ्लू का शिकार हो जाएगा।

आईफ्लू होने पर मरीज को करें आइसोलेट
डॉ। महाजन ने बताया कि यदि फैमिली में किसी को आईफ्लू हो जाए तो उसे आइसोलेट कर दें। उसके कपड़े-बेडशीट , टॉवल आदि को रोजाना धोएं। हो सके तो उसमें डेटॉल जैसा एंटीसेप्टिक लिक्विड डाल लें। यदि किसी बच्चे को आईफ्लू हो गया है तो उसे घर पर ही रखें।
यह लक्षण आएं तो हो जाएं सचेत
डॉ। महाजन ने बताया कि यदि आंखों में डिस्कंफर्ट होना शुरू हो जाए, जलन होने लगे, विजन कम होने लगे तो सावधान हो जाएं। यह आईफ्लू हो सकता है। डॉ। महाजन ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस वायरस और बैक्टीरिया दोनों से हो रहा है। यह एडिनोवायरस से फैल रहा है। इसके साथ ही इस वक्त कई तरह के बैक्टीरिया भी इसके कारण हैैं। डॉ। महाजन ने बताया कि दोनों तरह के स्ट्रेन अलग-अलग हैैं और दोनों में ही अलग-अलग दवा दी जाती हैैं। बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर आंखों में गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ निकलता है। वहीं वायरस के कारण आंखों में चुभन, जलन, पानी निकलने की शिकायत होगी। इसलिए दोनों ही प्रकार के लक्षण को पहचानें और डॉक्टर से सलाह लें। इसके बाद ही कोई आई ड्रॉप डालें।

बच्चों के केस में रहें सावधान
डॉ। महाजन ने बताया कि इस वक्त सभी लोग सीधा केमिस्ट के पास जाकर आईड्रॉप ले रहे हैैं। यह बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि बच्चा नहीं बता पाता है कि वह ठीक हो रहे हैैं या नहीं। इससे आंखों के लिए नुकसान भी हो सकता है।
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आईफ्लू के बारे में जानें
- जैसे कोविड एक फ्लू था वैसे ही यह फ्लू है
- यह कॉन्टेक्ट से फैलता है, हवा से नहीं।
- यह एडिनोवायरस से फैलता है

ऐसे करें बचाव
- आईफ्लू से बचाव के लिए हाथों को साफ रखें।
- हाथों को धोने के बाद ही आंखों को टच करें।
- कोविड की तरह ही हर जगह को छूने से बचें।
- लोगों से हाथ मिलाने से बचें
- यदि लक्षण आएं तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवाएं लें।

यह हैैं लक्षण
-आंखों डिस्कंफर्ट होना
-जलन होना
- आंखों का लाल होना
- आंखों से पानी आना
- विजन कम होना
- आंखों में चुभन होना

वर्जन
आईफ्लू काफी संक्रामक है। इससे बचाव के लिए हैैंड हाईजीन का ध्यान रखें। आंखों को छूने से बचें। यह काला चश्मा पहनने से नहीं रुकता है। आंखों को हाथ साफ करके ही छूएं।
-डॉ। मयंक महाजन, नेत्र रोग विशेषज्ञ
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