- नकली पिस्टल फैक्ट्री के भंडाफोड़ के बाद गहराया है शक

- प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती हर महीने जांच

आगरा। पुलिस ने पांच मार्च को असलाह फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। सरगना लोकेश, लखनऊ के वीपंस शॉप मालिक हरजीत व कारीगर गुरुबक्श के साथ एक युवक को पकड़ा। हरजीत अपनी दुकान से नकली पिस्टल बेच रहा था। सिटी में भी कई असलाह दुकानें ऐसी हैं, जिनके मानकों की जांच नहीं हुई है। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन दुकानों से भी नकली पिस्टल बिकी होगी।

अधिकतर दुकानें रहती हैं बंद

सिटी में करीब 28 वीपंस शॉप हैं। इनमें से कुछ दुकान अधिकतर बंद भी रहती है। बंद दुकान से भी नकली असलाह बेचने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकि बंद दुकान संचालक अपनी दुकान से असलाह दे सकता है। वह खरीद-फरोख्त खुले में नहीं होती है। माना जा रहा है कि हरजीत ने अपनी दुकान के अलावा ऐसी दुकानों से भी नकली पिस्टल की बिक्री की है, जो बंद हैं।

ज्यादा हो सकती है वीपंस की संख्या

शातिरों ने 200-250 पिस्टल बेचने की बात स्वीकार की, लेकिन यह बात गले नहीं उतर रही है। चूंकि जितना माल मौके पर मिला, उससे अधिक माल बेचे जाने की आशंका बन रही है। शातिर पिछले चार साल से स्पेन और इटली मार्का कंपनी की नकली पिस्टल तैयार कर रहे थे। पुलिस ने हथियार पर नंबर डालने वाले युवक को दूसरे दिन अरेस्ट किया।

ठीक से नहीं होती है जांच

नियमानुसार हर महीने प्रशासनिक अधिकारी द्वारा सिटी में वीपंस शॉप की जांच होनी चाहिए। कितना असलाह बिका और कितना नहीं व कितने वापस हुए का रिकॉर्ड तैयार होता है। हर महीने अधिकारी को दुकानों का रजिस्टर चैक करना होता है। सूत्रों की मानें तो आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। इसका फायदा शातिर दुकानदार उठा सकते हैं।

परमीशन की होनी चाहिए जांच

असलाह लाइसेंस कई तरह के होते हैं, जिसमें फॉर्म 11 के अंतर्गत मिले लाइसेंस में दुकानदार असलाह की माइनर रिपेयरिंग व सेल व पर्चेजिंग कर सकता है। फॉर्म 12 के नियमानुसार दुकान पर रिपेयरिंग नहीं हो सकती, लेकिन खरीद-फरोख्त हो सकती है। फॉर्म 12 के अंतर्गत राइफल व रिवाल्वर के अलावा अन्य असलाह ले सकता है और बेच सकता है। फॉर्म 14 के अंतर्गत दुकान संचालक सिर्फ असलहे को विभिन्न परिस्थितियों में कस्टडी में रख सकता है।

सभी काम करते हैं दुकानदार

प्रकाश में आया है कि दुकानदार असलाह की रिपेयरिंग आदि भी कर देते हैं, जबकि यह नियमों के विरुद्ध है। सूत्रों की मानें तो किसी भी असलहे की रिपेयरिंग के लिए परमीशन आवश्यक है। असलाह घिसने पर यदि नंबर मिट गया है, तो कोई अपनी इच्छा से किसी दुकान से नंबर दोबारा से नहीं लिखवा सकता। इसकी परमीशन की जरूरत होती है। जबकि लोग ऐसे ही रिपेरिंग आदि काम करवा लेते हैं। किस दुकानदार पर कौन सा लाइसेंस है, इसकी जांच भी हल्के में ली जाती है।

पुलिस सौंपेगी अपनी रिपोर्ट

इस खुलासे के बाद प्रशासन ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि सिटी में बनी सभी दुकानों की सघनता से जांच की जाए कि किस दुकान में कितने असलहे व कब का लाइसेंस व कौन सा लाइसेंस है। किसने कब कितने असलहे बेचे हैं, इसकी जानकारी कर पुलिस रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट आने के बाद यदि किसी भी दुकान में कोई खामी पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।