- सिटी के थानों में वर्षो से जंग खा रहे वाहन

-पुलिस-प्रशासन का रवैया नीलामी के प्रति उदासीन

- वाहनों को खड़ा कर दिया शहर की सड़कों पर

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AGRA। एक ओर सिटी में विभिन्न एरियाज से प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर सड़कों से अनाधिकृत कब्जों को हटाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सिटी के वीआईपी रोड पर सरकारी कब्जा बना हुआ है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सिटी के पुलिस थानों में पड़े उन सैंकड़ों वाहनों की, जो सालों से जंग खा रहे हैं। वाहनों की संख्या ज्यादा होने से थानों में इन्हें रखने के लिए जगह कम पड़ रही है, जिसके चलते इन वाहनों को थाने से बाहर रखना पड़ रहा है।

चक्कर काटते हैं मालिक

इन वाहनों में ज्यादातर केस प्रॉपर्टी, लूट, चोरी, माल बरामदगी, एक्सीडेंट, और लावारिस वाहन के होते हैं। केस प्रॉपर्टी को छोड़कर अन्य वाहनों के मामले में पुलिस का रवैया ऐसा होता है कि एक्सीडेंट का पीडि़त अपना वाहन लेना भी चाहे, तो उसे महीनों थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं, बावजूद इसके पीडि़त को वाहन प्राप्त नहीं हो पाता है।

वाहनों से घिरा एमजी रोड

थाना सदर बाजार के सामने एमजी रोड पर 500 मी। से भी ज्यादा के दायरे में एक्सीडेंट व लावारिस वाहनों की लम्बी कतार लगी हुई है, जिसके चलते आधा रोड अनाधिकृत रूप से पुलिस ने अपने कब्जे में कर रखा है। इसके चलते एमजी रोड पर नो एन्ट्री खुलते ही ट्रकों की लम्बी कतारें लग जाती हैं, जिसके चलते वहां से वाहनों और दुपहिया व्हीकल्स का निकलना दूभर हो जाता है।

हर छह महीने बाद व्हीकल्स की नीलामी

नियमानुसार थाने पर जो लावारिस, चोरी, लूट, माल बरामदगी वाले व्हीकल्स की तफ्तीश के लिए छह महीने का समय दिया जाता है। इसमें खास बात ये है कि कोई व्हीकल्स माल प्रॉपर्टी है और उसका केस कोर्ट में विचाराधीन है, तो कोर्ट से डिसीजन आने के बाद ही पुलिस मामले में डिसीजन लेने की हकदार होती है। लेकिन जो व्हीकल्स लावारिस हालत में मिलते हैं, उनकी छह महीने में नीलामी कर देनी चाहिए।

क्या हैं रूल्स

लावारिस अवस्था में मिले व्हीकल्स के स्वामी की तलाश के लिए पुलिस ने छह महीने का समय निर्धारित कर रखा है। यदि छह महीने में व्हीकल स्वामी का पता नहीं चल पाता है, तो पुलिस द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के यहां एक प्रार्थना पत्र दिया जाता है। इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट के यहां से नीलामी की तारीख निश्चित कर दी जाती है। थाने में व्हीकल्स की कंडीशन को देखकर बोलीदाता बोली लगाते हैं। सबसे अंत में जिसकी बोली सबसे ज्यादा होती है, व्हीकल्स उसके सुपुर्द कर दिया जाता है। उसके बाद मजिस्ट्रेट द्वारा उसको प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।

कबाड़ बन जाते हैं व्हीकल्स

जनपद में 42 पुलिस थाने हैं। इनमें सैंकड़ों चार पहिया, दोपहिया वाहन वर्षों से जंग खा रहे हैं। कुछ थानों में तो इनके लिए जगह भी नहीं है, जिसके चलते पुलिस ने इन वाहनों को बेतरतीब तरीके से रोड पर खड़ा कर दिया है।

चोरी हो जाता है सामान

व्हीकल्स दोपहिया हो या चारपहिया, एक्सीडेंट का हो या लावारिस हालत का एक बार थाने की सीढ़ी पर चढ़ गया, उसकी जिदंगी बर्बाद हो जाती है। उसकी बैटरी, स्टेपनी, नट बोल्ट, पहिया, टयूब-टायर, कभी-कभार पूरा इंजन भी गायब हो जाता है। कारों का म्यूजिक सिस्टम आदि पार कर दिया जाता है।

"इसमें कुछ वाहन माल मुकदमा वाले होते हैं। चोरी, लूट, डकैती वाले वाहन केस प्रॉपर्टी होते हैं। कोर्ट से केस डिस्पोजल होने पर ही पुलिस कार्रवाई करती है।

अशोक त्रिपाठी एसपी ट्रैफिक आगरा