- गोकुल में हुई छड़ी मार होली, सखियों ने कान्हा संग खेली होली

- टेसू के फूलों के रंग से सराबोर हुआ गोकुल गांव, श्रद्धालुओं हर्षित

मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण ने जिस गांव में अपने बचपन की लीलाएं की थीं, उसी गांव गोकुल में द्वापर युग की दिव्य होली जीवंत हो रही थी। देश-दुनिया से आए श्रद्धालु भगवान द्वारा बचपन में खेली गई होली के दर्शन करने को मचल रहे थे। गोकुल का आसमान रंग और अबीर-गुलाल से रंगा था। श्रद्धालुओं के चेहरे भी नीले, पीले, लाल हो रहे थे। सभी एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल डाल रहे थे। 'मैरौ खो गयौ बाजू बंद, रसिया होरी में', 'होली खेलन बरसाने आ जइयो' आदि रसिया होली के रंग को चटख कर थे। जैसे ही भगवान का डोला और स्वरूप मुरलीधर घाट पर पहुंचे, तो होली की धूम हो गई। श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप पर गोपियों ने छडि़यां बरसाना शुरू कर दिया। सभी होली की मस्ती में सराबोर हो गए।

गोपियां के हाथों में थी छड़ी

रविवार को नंद किला मंदिर से मुरलीधर घाट तक शोभायात्रा निकाली गई। कान्हा की पालकी और पीछे सजी-धजी गोपियां हाथों में छड़ी लेकर चल रहीं थीं। बैंडबाजों के साथ निकली शोभायात्रा से वातावरण होलीमय हो गया। 'नेक आगे आ श्याम तौपे रंग डारूं', 'फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नंद किशोर' आदि रसियाओं पर श्रद्धालु झूम रहे थे। शोभायात्रा बाजारों और नंद चौक होकर निकली। शोभायात्रा के स्वागत पर पग-पग पर फूल बरस रहे थे। मुरलीधर घाट पर प्रभु ने कुछ समय विश्राम किया और तरह-तरह के व्यंजन का स्वाद चखा। इसके बाद होली का धमाल शुरू हो गया। अबीर-गुलाल से गोकुल का आसमान सतरंगी हो गया।

होलीमय हुआ गोकुल

रंगों की बौछार से श्रद्धालुओं का रोम-रोम गोकुल की होली के रंग में रंग गया। कन्हैया के चोट न लग जाए यह ख्याल सखियों के जहन में भी रहा। कान्हा भी पूरे रसिया थे। वह मस्ती में छड़ी खाते रहे और गोपियां को दौड़ाते रहे। कन्हैया के सखा भी गोपियों को छेड़ते रहे। छडि़यों की होली के बाद भगवान की झांकी के दर्शन हुए तो कन्हैया की जय-जयकार से गोकुल की गलियां गूंज उठीं। पुजारियों ने जैसे ही चांदी की पिचकारी से भगवान पर रंग डाला, चारों ओर अबीर-गुलाल और टेसू के रंग की बौछार होने लगी। मुरलीधर घाट टेसू के रंग से रंग गया।

टोल बनाकर जा रहे थे गोकुल

सुबह से ही श्रद्धालुओं का रुख गोकुल की ओर था। टेंपू भी ओवरलोड रहे। आस-पास के लोग तो पैदल ही टोल बनाकर गोकुल पहुंच गए।

मंदिरों के किए दर्शन

श्रद्धालुओं ने गोकुल के मंदिरों के दर्शन किए। भगवान श्रीकृष्ण के गांव आकर श्रद्धालु अपने को धन्य समझ रहे थे। गोकुल में आस्ज्ञथा की बयार बहती रही।

गोकुल में ही खेली होली

धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले बाल्यकाल में गोकुल में ही होली खेली थी। भगवान का यहां बालस्वरूप था इसलिए सखियों ने छड़ी से भगवान के साथ होली खेली थी।