- एसएन इमरजेंसी में स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ाने लगीं

- न एंबुलेंस और न मरीजों को मिल पा रही स्ट्रक्चर

- पेशेंट को कंधों पर ले जाने को मजबूर हो रहे तीमारदार

- इलाज भी नहीं मिल पा रहा, अपनों को तपड़पे देख निकले आंसू

आगरा। मैं फिरोजाबाद से आई हूं। मेरी डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिवि है। एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहले एडमिट कर लिया गया। हाथ में ड्रिप भी लगा दी गई। कुछ देर बाद पीछे बिल्डिंग में जाकर एडमिट होने के लिए कह दिया। हमें कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि कैसे और कहां जाएं? यहां कोई कुछ बताने को भी तैयार नहीं है। हाथ में ड्रिप लगाए इमरजेंसी के गेट पर खड़ी झलक की ही सिर्फ ये परेशानी नहीं है, बल्कि बुखार पीडि़तों की संख्या बढ़ने के साथ ही एसएन में स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ाने लगी हैं।

इमरजेंसी में अफरा-तफरी जैसी स्थिति

मंगलवार दोपहर जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम जब एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी पहुंची, तो स्थिति अफरातफरी जैसी थी। कोई अपने को इलाज दिलाने के लिए भटक रहा था तो कोई बच्चे को गोद में लिए इधर-उधर भाग रहा था। बच्चे को प्रॉपर ट्रीटमेंट न मिलने पर कई तो फूट-फूटकर रोने लगे। जो पेशेंट भी आ रहे थे, उनके लिए भी कोई सुविधा नहीं थी। न ही तो इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रक्चर थी और न ही मरीजों को ले जाने के लिए एंबुलेंस।

मरीजों को ले जाने की नहीं सुविधा

जब मरीजों को ले जाने के लिए कोई सुविधा नहीं मिली तो परिजन मजबूरन बाइक पर मरीज को बैठाकर रवाना हो गए। वहीं, एक युवक महिला मरीज को कंधे पर उठाकर ले जाने को मजबूर दिखा। एक पिता अपने बच्चे को गोद में ले जाते हुए दिखा।

क्या सामने आ रही दिक्कत?

बुखार के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जिले के मरीजों के साथ पड़ोसी जिलों के मरीज भी एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं। मरीजों का बोझ पड़ते ही व्यवस्था ध्वस्त हो गई हैं। यहां मरीज को एडमिट करने और शुरूआती उपचार देने के बाद एसएन में बने वार्ड में एडमिट होने के लिए भेज दिया जाता है। जबकि इमरजेंसी से वार्ड काफी दूर है। ऐसे में बाहर से आए मरीज को भौगोलिक स्थिति का अंदाजा भी नहीं होता। इमरजेंसी में तैनात स्टाफ भी सीधे मुंह बात नहीं करता। इमरजेंसी पर एंबुलेंस भी नहीं रहती है, जिससे मरीज को वार्ड तक पहुंचाया जा सके। इससे मरीज परेशान हो जाता है।

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