<

AGRA AGRA राष्ट्रीय धरोहर अकबर टॉम्ब (सिकंदरा) के अंदर रह रहे ब्लैक बक (काले हिरनों) को जैकाल चट कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारी अमले को इस बात की जानकारी नहीं है। समस्या के बारे में सरकारी कारिंदों को सबकुछ अच्छी तरह से पता है लेकिन, स्थितियों में सुधार के लिए महज खानापूर्ति सरीखा काम ही किया जा रहा है। यही वजह है कि अकबर टॉम्ब के काले हिरनों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है। जबकि जैकाल को पकड़ने के लिए गवर्नमेंट की ओर से मोटा फंड भी रिलीज किया जा चुका है। ब्लैक बक के बारे में जानने के लिए जब आई नेक्स्ट ने अकबर टॉम्ब की खाक छानी तो नतीजे चौंकाने वाले दिखे। झाडि़यों के अंदर जैकाल के शिकार हुए मृत ब्लैक बक पाए गए। जिसने सरकारी कार्यशैली की कलई खोल कर रख दी।

दर्जनों जैकाल हैं सिकंदरा में

नेशनल हाइवे नं। टू पर स्थित अकबर टॉम्ब, सिकंदरा में दर्जनों की संख्या में जैकाल बने हुए हैं। जंगल का यह जीव एक-एक ब्लैक बक पर मौत बनकर झपट्टा मार रहा है। जैकाल की वजह से ब्लैक बक कुनबे के सदस्यों में घटोत्तरी देखने को मिल रही है।

करीब ख्भ्0-फ्00 की थी संख्या

जैकाल का झुंड दौड़ाकर एक हिरन को मारकर गिरा लेता है। इसके बाद मिलकर इसकी दावत उड़ा दी जाती है। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय में जैसे-जैसे जैकालों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे ही ब्लैक बक कम होते चले गए। कुछ समय पहले तक अकबर टॉम्ब के अंदर तकरीबन ढाई-तीन सौ ब्लैक बक हुआ करते थे।

अब बचे हैं कुछ दर्जन

सूत्रों का कहना है कि अकबर टॉम्ब, सिकंदरा के अंदर जैकालों को घूमते-फिरते हुए साफ-साफ देखा जा सकता है। मॉन्युमेंट परिसर में उगे झाड़-झंखाड़ इनके छिपने-छिपाने के लिए मुफीद स्थान बने हुए हैं। झाडि़यों के बीच से निकलते हुए ब्लैक बक पर जैकाल कब मौत बनकर टूट पड़े, कोई नहीं जानता है। जैकालों की इस सक्रियता के चलते ही आज की तारीख में ब्लैक बक का परिवार सिमट कर महज पांच-छह दर्जन तक रह गया है।

सबसे ज्यादा बच्चों का शिकार

ब्लैक बक के लम्बे चौड़े-कुनबे को न जाने किसकी नजर लग गयी। इसी का नतीजा रहा कि बढ़ते हुए जैकालों ने इनकों खत्म करने का काम शुरू कर दिया। जैकाल के नेचर को सबसे ज्यादा मुफीद ब्लैक बक के बच्चे लगते हैं। यही वजह है कि झाडि़यों में छिपकर बैठने वाले जैकालों ने बीते समय में सबसे ज्यादा ब्लैक बक की फैमिली के छोटे-छोटे सदस्यों का ही शिकार किया। जानकार बताते हैं कि वयस्क काले हिरन तो एक बार को लम्बी-लम्बी छलांग लगाकर जैकालों से बचने की कोशिश में सफल भी हो जाते हैं लेकिन, इनके बच्चों को यह सफलता प्राय: कम ही नसीब होती है। नतीजा, जैकाल के पंजों में तड़प कर इनकी जान निकल जाती है।

झाडि़यों के बीच पड़े रहते हैं मृत

जैकाल के मौत बनकर ब्लैक पर झपट्टे की सचाई को जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने अकबर टॉम्ब के अंदर घुसकर जंगल को देखा। इस दौरान हकीकत से पर्दा उठ गया। झाडि़यों के अंदर ब्लैक बक मृत पड़े मिले। सूत्रों से पता लगा कि इसी तरह से एक-एक कर ब्लैक बक को जैकाल अपना शिकार बनाकर खत्म कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि झाडि़यों के अंदर से जैकालों को इधर-उधर घूमते हुए साफ देखा जा सकता है।

सूर्यास्त से सूर्योदय तक सक्रिय

सूत्रों का कहना है जैकाल लोगों की चहल-कदमी का विशेष ख्याल रखते हैं। यही वजह है कि मॉन्युमेंट के खुलने के समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक टूरिस्ट अंदर बने रहते हैं। इसकी वजह से जैकाल अकबर टॉम्ब की झाडि़यों में ही छिपे रहते हैं। सूर्यास्त के बाद जैसे ही मॉन्युमेंट खाली हो जाता है, जैकाल निकल कर बाहर आ जाते हैं। इसके बाद से लेकर सूर्योदय से पहले तक जैकाल ब्लैक बक का बहुत ही आसानी से शिकार कर लेते हैं। यही वह समय है जबकि ब्लैक बक मॉन्युमेंट के गार्डन एरिया से निकलकर झाडि़यों के बीच से होते हुए अपने ठिकानों की ओर जाने लगते हैं।

सरकार दे चुकी सात लाख

ब्लैक बक की जान बचाने के लिए सरकार की ओर से कदम नहीं उठाया गया ऐसा नहीं है। हाल ही में सरकारी खजाने से सात लाख रुपये का मोटा फंड रिलीज भी हो चुका है। यह पैसा वाइल्ड लाइफ एसओएस को दिया जा चुका है। धन इसलिए दिया गया ताकि अकबर टॉम्ब के अंदर से जैकालों को पकड़कर ब्लैक बक की जान बचाई जा सकी। पिछले दिनों जैकाल को पड़ने के लिए अभियान भी शुरू किया गया लेकिन, महज सात-आठ जैकाल पकड़ने के बाद अभियान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि अभियान के तहत अकबर टॉम्ब को जैकाल विहीन करना था।

करीब सवा सौ साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं

बताते चलें कि अकबर टॉम्ब में रहने वाले ब्लैक बक तकरीबन सवा सौ साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। अकबर टॉम्ब के अंदर का एरिया ब्लैक बक के लिए लम्बे समय से नेचुरल हैबिटेट बना हुआ है। ब्लैक बक के साथ ही साथ बीते समय में यह मॉन्युमेंट लंगूरों की उपस्थिति के लिए भी खासा फेमस रहा है। लेकिन, हाल के सालों में अकबर टॉम्ब के अंदर जैकालों ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा दी है। जिसके चलते ब्लैक बक की जान सुरक्षित नहीं बची है।