- जनपद की सभी तहसीलों में 25 जुलाई से होनी थी लागू

- लेखपाल और रजिस्ट्रार के नहीं लगाने होंगे चक्कर

आगरा। किसानों को अब खतौनी के लिए इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं होगी। घर बैठे ही खतौनी मिल सकेगी। इसके लिए फीस ऑन लाइन जमा करनी होगी। शासन इसके लिए ऑन लाइन व्यवस्था करने जा रहा है।

लगाने पड़ते हैं चक्कर

किसान को चाहे लोन लेने का विषय हो या फिर किसी की जमानत देनी हो आदि विभिन्न कार्यो के लिए समय समय पर किसान को खतौनी की जरूरत पड़ती है। इसके लिए तहसील तक दौड़ लगानी पड़ती है। खतौनी निकलवाने के बाद उसे प्रमाणित कराए जाने के लिए लेखपाल से लेकर रजिस्ट्रार कानूनगो के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसकी फीस 20 रुपये होती है, लेकिन प्रमाणित कराए जाने के लिए कई बार लेखपाल और रजिस्ट्रार कानूनगो को भी सुविधा शुल्क भी देना पड़ता है।

किसान की होती है मजबूरी

खतौनी कई बार किसान के लिए बहुत ही आवश्यक होती है। उसे निकलवाने और प्रमाणित कराए जाने के लिए खर्च भी करना पड़ता है। अगर लेखपाल नहीं मिला तो उसका पता कर उसके घर तक या अन्य स्थान तक दौड़ लगानी पड़ती है। अब इस प्रकार की सभी दौड़भाग से किसानों को छुटकारा मिलने जा रहा है।

आगरा में चल रहा है तेजी से कार्य

खतौनी को ऑनलाइन किए जाने का कार्य बहुत ही तेजी से चल रहा है। जनपद की छह तहसीलों में से करीब करीब किरावली सहित आधा तहसीलों में ऑन लाइन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।

बीएसएनएल से चल रही है वार्ता

ऑनलाइन व्यवस्था को बीएसएनएल से टाइअप करने की वार्ता चल रही है। एक सप्ताह के अंदर फाइनल हो जाएगा। खतौनी आपको ऑनलाइन प्रमाणित आरके(रजिस्ट्रार कानूनगो) के द्वारा मिलेगी। इसके लिए आपको पहले निर्धारित फीस जमा करनी होगी। इसके तत्काल बाद ही आपको खतौनी मिल सकेगी।

भूलेख साफ्टवेयर का नया वर्जन तैयार

राजस्व परिषद द्वारा एनआईसी के माध्यम से भूलेख साफ्टवेयर का नया वर्जन तैयार कराया गया है। इस साफ्टवेयर का परीक्षण भी कराया गया है। सफल परीक्षण के बाद इसे अमल में लाए जाने की प्रक्रिया जारी है।

25 से होना था लागू

सभी तहसीलों में यह प्रक्रिया 25 जुलाई से लागू होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह लागू नहीं हो सकी है। आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद कम्प्यूटर सेल लखनऊ ने जिलाधिकारी आगरा को इस प्रक्रिया को जनपद की सभी तहसीलों में 25 जुलाई से लागू कराए जाने का अनुरोध किया था।