आगरा। एयर एक्शन प्लान में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स के लेवल को ध्यान में रखते हुए कई बिन्दुओं पर जिम्मेदारी निर्धारित की गई थी। नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई थी कि शहर को गार्बेज फ्री बनाने के साथ गार्बेज के जलाने पर पाबंदी लगाने के लिए अधिकृत किया गया था। इसके अलावा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के अफसरों को जिम्मेदारी दी गई थी। प्रदूषण फैलाने वाले कारक, कोक भट्टियां, 15 वर्ष पुराने डीजल वाहन, कंस्ट्रक्शन, डीजल जनरेटर, समेत अन्य बिन्दुओं पर कार्रवाई के लिए विभिन्न विभागों को जिम्मेदारी दी गई। नियमित पानी छिड़काव के भी निर्देश दिए गए। लेकिन अभी तक ये कार्य अंजाम तक नहीं पहुंच सके हैं।

ये प्लान किया गया था तैयार
लॉग टर्म प्लान
योजनाएं जिम्मेदारी निर्धारित समयावधि
जाम से छुटकारा एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी 360 दिन नहीं मिल सका।
वाहनों में फ्लिटर व्हीकल्स कंपनी रोड मिनिस्ट्री 360 दिन पूर्ण रुप से नहीं हो सका
नहरों को पक्का करना नहर सिंचाई और वन विभाग 180 दिन नहीं हो सकीं
इलेेक्ट्रिक बसें रोडवेज विभाग 360 दिन इसमें 90 बसें मिली हैं
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शॉर्ट टर्म प्लान
योजना जिम्मेदार निर्धारित समयावधि

फुब्बारों का संचालन नगर निगम एडीए तीन महीने फब्बारे बंद पड़े हैं
बैटरी चलित वाहन निगम एडीए चार महीने इनका प्रचलन बढ़ा है
पेट्रो पदार्थों में मिलावट डीएसओ एक महीना कोई ठोस कार्रवाई नहीं
इंटेलीजेंट ट्रैफिक सिस्टम ट्रैफिक पुलिस 180 दिन ट्रैफिक सिस्टम फेल
सड़कों का चौड़ीकरण नगर निगम तीन महीने नहीं हो सका
रिमोर्ट सेंसर ट्रैफिक पुलिस 180 दिन
प्रदूषणकारी वाहनों की चेकिंग आरटीओ ट्रैफिक पुलिस नियमित
सार्वजनिक स्थानों पर ग्रीनरी वन विभाग तीन महीने



10 करोड़ से कम किया जाना था 30 फीसदी एयर पॉल्यूशन
शहर में 10 करोड़ से 30 फीसदी एयर पॉल्यूशन को कम किया जाना था।

ये किए जाने थे काम
- ऑटोमेटिक एयर इंडेक्स मापक सेंटर स्थापित करना
- पौधरोपण कर ग्रीनरी में इजाफा करना
- वाटर स्प्रिंकलर से छिड़काव करना
- ताज के 500 मीटर के दायरे में तन्दूर के लिए इलैक्ट्रॉनिक भट्टियों को बढ़ावा देना
- प्रदूषण जांच केन्द्रों की संख्या में इजाफा करना
- ताज के आसपास चूल्हे का प्रयोग करने वालों को गैस चूल्हा मुहैया कराना
- वाहनों में फिल्टर लगाया जाना।
- इलैक्ट्रॉनिक बसों को बढ़ावा देना।
- चौराहों पर फब्बारों का संचालन करना


एयर एक्शन प्लान को लेकर रिपोर्ट भेज दी गई है। पहले ये रिपोर्ट उ। प्र। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भेजता था, लेकिन अब नगर निगम द्वारा भेजी गई है। इसके लिए हर तीन महीने बाद मॉनीटरिंग मीटिंग होती है। जहां भी रिपोर्ट सही नहीं मिलती उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है।
पकंज भूषण, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम आगरा