आगरा(ब्यूरो)। ज्योतिषाचार्य पं। चंद्रेश कौशिक ने बताया कि ङ्क्षहदू पंचांग के अनुसार इस आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी 29 जून को है और देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की शुरुआत होगी। चातुर्मास समाप्ति कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन 23 नवंबर को होगी यानि चातुर्मास 29 जून से शुरू होकर 23 नवंबर तक रहेगा। वैसे तो चातुर्मास की अवधि चार माह की होती है, लेकिन इस साल चातुर्मास चार नहीं, पांच माह का होगा और पांच महीनों तक मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। इसका कारण यह है कि इस वर्ष अधिकमास लग रहा है, जिसे अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर कहते हैं। अधिकमास के कारण सावन का पावन माह 59 दिनों का होगा। इस कारण सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीने रहेगा।

यह हैं चातुर्मास
ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि हरिशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं और चातुर्मास का समय भगवान विष्णु का शयनकाल है। पंचांग के अनुसार श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह तक चातुर्मास रहता है। ङ्क्षहदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चातुर्मास का अर्थ है चार महीने का समय। विष्णु पुराण के अनुसार इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं। इस कारण सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य इन चार महीने के दौरान रुक जाते हैं। चातुर्मास में शुभ विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि कई तरह के शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं।

दो माह का होगा श्रावण
29 जून से पावन अमृतवर्षा योग (चातुर्मास) और चार जुलाई से पवित्र श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष अधिकमास होने के कारण श्रावण मास में श्रद्धा का अमृत 30 नहीं पूरे 59 दिन बरसेगा। वहीं पवित्र चातुर्मास चार के स्थान पर पांच माह का होगा। ऐसे में श्रावण के महीने में लगने वाली परिक्रमा सावन के दूसरे सोमवार को ही लगेगी। ज्योतिषाचार्य पं। चंद्रेश कौशिक के अनुसार, भारतीय पंचांग के अनुसार चातुर्मास हरिशयनी एकादशी से 29 जून को प्रारंभ होगा। ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि इस वर्ष अधिक मास 18 जुलाई को प्रारंभ होकर 16 अगस्त तक चलेगा। अधिक मास के पहले श्रावण मास का शुक्ल पक्ष (15 दिन) और समापन के बाद कृष्ण पक्ष (15 दिन) का होगा। इस कारण श्रावण मास का कृष्ण पक्ष और अधिक मास का शुक्ल पक्ष एक माह और अधिक मास का कृष्ण पक्ष और श्रावण का शुक्ल पक्ष दूसरा माह माना जाएगा। इसलिए इस वर्ष श्रावण मास दो माह मनाया जाएगा।

10 जुलाई को राजेश्वर मंदिर मेला
वहीं श्रावण माह के प्रथम सोमवार को लगने वाले मेले के लिए तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। सोमवार को प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की बैठक मंदिर परिसर में हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि 10 जुलाई को श्रावण के पहले सोमवार पर भव्य मेला आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर नई मेला कमेटी गठित हुई, जिसमें संजय उपाध्याय को अध्यक्ष, जयंती उपाध्याय को मेला संयोजक और विनोद तिवारी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मेले की तैयारी 30 सदस्यीय कमेटी करेगी। मंगलवार से कमेटी पदाधिकारी अधिकारियों से मिलकर विकास कार्य पूर्ण कराने की मांग करेंगे।

होंगी श्रीमद्भागवत व श्रीराम कथा
पवित्र चातुर्मास मास और श्रावण मास के दौरान ङ्क्षहदू समाज ने भी विभिन्न धार्मिक आयोजन कराए जाएंगे। इनमें श्रीमद्भागवत कथा और श्रीराम कथा सर्वाधिक होंगे। अभी से कई स्थानों पर इसके लिए तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। कुछ स्थानों पर स्थानीय, जबकि कुछ स्थानों पर ख्यातिप्राप्त कथाचार्य आकर श्रद्धालुओं को धर्म का मर्म समझाएंगे।

जैन संतों के सानिध्य में बीतेगा चातुर्मास
आगरा में चातुर्मास व्यतीत करने के लिए जैन संत पहुंचना प्रारंभ हो गए हैं। मुनि साध्य सागर, योग्य सागर और निवृत्त सागर ने छीपीटोला क्षेत्र में चातुर्मास व्यतीत कर धर्म की शिक्षा देने की स्वीकृति दे दी है। वहीं महासती पूजा ज्योति पारस पल्स सोसायटी में विराजमान हैं। मुनि सुधा सागर का बिहार आगरा की ओर हो रहा है। उनका संभावित वर्षा योग आगरा में होगा। गणिनी आर्यिका आर्षमति माता ससंघ का चातुर्मास ओल्ड ईदगाह कालोनी स्थित श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में होगा।